चंडीगढ़। भारतीय पुलिस सेवा के अफसर देसराज सिंह को सीबीआई कोर्ट ने 3 साल जेल की सजा सुनाई है। देसराज सिंह पर आरोप है कि उसने पुलिस अधीक्षक पद पर रहते हुए 1 लाख रुपए रिश्वत ली। कोर्ट में सुनवाई के दौरान देसराज अपने बचाव में कोई प्रभावी दलील, सबूत या गवाह पेश नहीं कर पाया। जबकि अभियोजन ने देसराज सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किए। कोर्ट ने उसे रिश्वतखोर माना और 3 साल जेल की सजा सुनाई।
सीबीआई कोर्ट ने देसराज सिंह पर एक लाख रुपए जुर्माना भी लगाया। फैसला सुनाते हुए सीबीआई कोर्ट की स्पेशल जज गगनगीत कौर ने कहा कि इस केस से उन्हें मुंशी प्रेमचंद की 1925 में छपी कहानी 'नमक का दारोगा' की याद आ गई। कोर्ट ने कहा कि देश को 'नमक का दारोगा' जैसे पुलिस अधिकारियों की जरूरत है। बता दें कि भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति पुलिस विभाग में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए ही होती है।
बीबी बच्चों के नाम पर गिड़गिड़ाया IPS
दोषी पुलिस अफसर देसराज के वकील की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उनकी 09 साल की बेटी अर्ब्स पाल्सी बीमारी से पीड़ित है, जबकि बेटे को जी6 पीएलडी नाम की बीमारी है। इस बीमारी में उसे ब्लड की काफी जरूरत पड़ती है। पत्नी डायबीटिक हैं। ऐसे में उनकी गैरमौजूदगी में परिवार की देखरेख करने वाला कोई नहीं होगा। लिहाजा, गिरफ्तारी से छूट दी जाए। कोर्ट ने अपील मानते हुए देसराज को गिरफ्तार करने के आदेश नहीं दिए। देसराज अभी हरियाणा में पदस्थ हैं।
क्या है मामला
अक्टूबर 2012 में सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने चंडीगढ़ के एसपी सिटी देसराज सिंह को गुरुवार रात लाखों रुपयों की रिश्वत के मामले में उनके सेक्टर-23 स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने उनके घर की तलाशी ली। सीबीआइ को एसपी के खिलाफ रिश्वत लिए जाने की शिकायत यूटी पुलिस के इंस्पेक्टर बतौर थाना-26 एसएचओ कार्यरत अनोख सिंह ने दी थी। मालूम चला है कि आरोपी अधिकारी द्वारा पांच लाख रुपये के करीब मांग की गई थी, लेकिन सीबीआइ टीम ने उन्हें एक लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।
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