नई दिल्ली। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर उत्पादों की खराब गुणवत्ता, नकली/डुप्लीकेट उत्पादों, इत्यादि के बारे में विभिन्न शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत त्रिस्तरीय अर्द्ध-न्यायिक व्यवस्था स्थापित की गई है, ताकि उपभोक्ता विवादों का त्वरित एवं सरल निपटान संभव हो सके। इस व्यवस्था के तहत विशिष्ट तरह की राहत देने के साथ-साथ जहां उचित प्रतीत हो वहां उपभोक्ताओं को मुआवजा देने का भी अधिकार दिया गया है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में आदेशों का पालन न होने पर अर्द्ध-न्यायिक निकायों द्वारा जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया गया है। जब किसी उपभोक्ता फोरम द्वारा किसी शिकायत को जायज ठहराया जाता है तो वैसी स्थिति में यह प्रतिवादी को संबंधित उत्पाद की कमी दूर करने, संबंधित वस्तु की जगह नए वस्तु देने, उपभोक्ता को पैसा वापस करने, इत्यादि के आदेश दे सकता है।
विभाग ने 5 जनवरी, 2018 को लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 पेश किया है जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का स्थान लेगा। ई-कॉमर्स में अनुचित व्यापारिक तौर-तरीकों की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा नियम बनाने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है। इस आशय की जानकारी खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्यमंत्री श्री सी. आर. चौधरी ने आज लोकसभा में दी।
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन का टोलफ्री नंबर: 1800-11-4000 or 14404
सभी कार्यदिवस में (09:30 AM To 05:30 PM)
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