इंदौर। एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध के बीच आरक्षित जाति के भाजपा नेता, सांसद एवं केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने नागदा में बयान दिया है कि यदि एक्ट में कुछ भी गलत होता तो 412 अनारक्षित सांसद इसका समर्थन क्यों करते। उन्होंने कहा कि लोग बेवजह इसका विरोध कर रहे हैं। गहलोत ने यह भी कहा कि एक्ट का सबसे ज्यादा विरोध उन राज्यों में है जहां चुनाव आने वाले हैं।
गहलोत ने कहा कि इस मामले में अग्रिम जमानत का प्रावधान समाप्त करने को मुद्दा बनाया जा रहा है, जबकि असल में इस तरह के प्रावधान तो विभिन्न एक्ट में पहले से हैं, जिसमें अग्रिम जमानत नहीं होती है। शनिवार को गेहलोत ने नागदा में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि पूर्व में डीएसपी स्तर के अधिकारी एससी-एसटी एक्ट के मामले की जांच करने के लिए अधिकृत थे। अब ऐसे मामलों की जांच थाना प्रभारी या एसआई भी कर सकेंगे। इससे सुलभ न्याय की अवधारणा मजबूत होगी।
मंत्री हो या कलेक्टर आरक्षण तो मिलना ही चाहिए
उच्च पदों पर पहुंच चुके लोगों को आरक्षण से बाहर करने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया कि जो मंत्री, सांसद, विधायक बन गया वो हमेशा रहेगा। कई नेताओं की हालत इतनी बुरी है कि वे सड़कों पर भटक रहे हैं। इसके बाद कलेक्टर, डॉक्टर या अन्य ब्यूरोक्रेट को एलपीजी सिलेंडर की तरह ही आरक्षण छोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आया तो विचार करेंगे।
आंकड़ों मेंउलझ गए मंत्री जी
एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग के सवाल को भी गेहलोत ने सिरे से खारिज कर दिया। गेहलोत यह दावा भी कर गए कि नेशनल क्राइम ब्यूरो की 2015 की रिपोर्ट में 15 हजार में से मात्र 800 मामले ही फर्जी पाए गए। असलियत यह है कि 15 हजार में से 8 हजार 900 मामले फर्जी होने की रिपोर्ट नेशनल क्राइम ब्यूरो ने ही जारी की है। यानी एट्रोसिटी एक्ट के तहत 2015 में देशभर में दर्ज आधे से ज्यादा मामले झूठे पाए गए।
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