नई दिल्ली। लोगों को ठीक से याद है जब मनमोहन सिंह सरकार में क्रूड आॅइल के दाम तेजी से बढ़ रहे थे, पेट्रोल ने 50 का आंकड़ा पार कर लिया था और इसी के साथ भाजपा ने हाहाकार मचा दिया था। विपक्ष में बैठे नेताओं के अलावा विभिन्न राज्यों और संस्थाओं में सरकार के साथ सत्ता में उपस्थित भाजपा नेताओं ने भी सड़कों पर उतरकर पेट्रोल मूल्यवृद्धि का विरोध किया था परंतु अब केंद्र और देश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा सरकार होने के बावजूद पेट्रोल 88 हो गया है। याद दिला दें कि इस कीमत में केंद्र और राज्यों में करीब 32 रुपए टैक्स के शामिल हैं इतने पूर्व की सरकारों के समय नहीं थे।
शनिवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई। देश की राजधानी में पेट्रोल की कीमत में 39 पैसे की बढ़ोतरी हुई है, जिसके बाद अब यहां पर पेट्रोल 80 रुपये के पार बिक रहा है। दिल्ली में ऐसा पहली बार हुआ है कि पेट्रोल की कीमतें 80 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंची है। फिलहाल यहां पर पेट्रोल की कीमत 80.38 रुपये प्रति लीटर है। वहीं डीजल के दामों में 44 पैसे की बढ़ोतरी हुई। दिल्ली में डीजल आज 72.51 पैसे प्रति लीटर बिक रहा है।
मुंबई की बात करें तो यहां पर भी पेट्रोल की कीमत में 38 पैसे की बढ़ोतरी हुई है। देश की आर्थिक राजधानी में पेट्रोल की आज की कीमत 87.77 रुपये प्रति लीटर है। जबकि डीजल 47 पैसे की बढ़ोतरी के साथ 87.39 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।
पिछले एक महीने में डीजल की कीमत में जहां 4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है तो वहीं पेट्रोल की कीमत में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर हैं। कांग्रेस ने 10 सितंबर को भारत बंद बुलाया है। कांग्रेस के भारत बंद को लेफ्ट पार्टियों का भी समर्थन है।
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि देश में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय कारकों से हो रही है और अब यह जरूरी हो गया है कि पेट्रोल तथा डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाया जाए।
प्रधान ने भुवनेश्वर में कहा कि तेल कीमतों में जो असामान्य वृद्धि हो रही है वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक स्थिति की वजह से है। केंद्र इसे लेकर सतर्क है। प्रधान ने कहा कि अब यह जरूरी हो गया है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाए। दोनों अभी जीएसटी में नहीं हैं जिससे देश को करीब 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाता है तो यह उपभोक्ताओं सहित सभी के हित में होगा।
केंद्र द्वारा तेल की कीमतों में कटौती के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर प्रधान ने कहा कि कोई सिर्फ उत्पाद शुल्क घटाकर इस मुद्दे का प्रभावी तरीके से हल नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि ईरान, वेनेजुएला तथा तुर्की जैसे देशों में राजनीतिक स्थिति की वजह से कच्चे तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है। पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन ओपेक भी कच्चे तेल का त्पादन नहीं बढ़ा पाया है, जबकि उसने इसका वादा किया था।
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com