नई दिल्ली। देश भर के तमाम प्राइवेट स्कूल टीचर्स के लिए गुडन्यूज है। हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के बाद आदेश दिया है कि प्राइवेट स्कूल के टीचर्स और कर्मचारियों को भी सरकारी कर्मचारियों के समान 7वां वेतनमान दिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा है कि निजी स्कूल अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को छठे और 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन और भत्ता देने से इनकार नहीं कर सकते।
जस्टिस सी. हरि शंकर ने डीएवी स्कूल के कई शिक्षकों की याचिका का निपटारा करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला दिया। हाईकोर्ट ने कहा है कि निजी स्कूल के शिक्षक व कर्मचारी सरकारी स्कूलों के अपने समक्ष शिक्षकों व कर्मचारियों के बराबर वेतन व भत्ता पाने के हकदार हैं। हाईकोर्ट ने शिक्षकों की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका पर स्कूल प्रबंधन को आदेश दिया है कि वह याचिकाकर्ताओं को छठे और 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन व भत्ता दें।
जनवरी 2017 में दाखिल याचिका में शिक्षकों ने हाईकोर्ट को बताया था कि अभी तक उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिश का लाभ नहीं मिला। मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता की ओर से अपने मुवक्किलों को छठे वेतन के साथ-साथ 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन व भत्ता और अबतक का एरियर दिलाने की मांग की गई थी।
देरी से हुआ नुकसान
याचिकाकर्ता लता राणा व अन्य को छठे वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन की मांग करने में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने में देरी से लाखों का नुकसान होगा। कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता को याचिका दाखिल करने से महज तीन साल पहले का एरियर मिलेगा, जबकि 7वें वेतनमान का उन्हें पूरा लाभ मिलेगा। छठा वेतनमान जनवरी 2006 से लागू हुआ था।
स्कूल फीस से कोई लेना-देना नहीं
हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन का स्कूल की फीस से कोई लेना-देना नहीं है। हाईकोर्ट ने प्रबंधन की उन दलीलों को ठुकराते हुए यह टिप्पणी की जिनमें कहा गया था कि अभी फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं मिली है और मामला सरकार के समक्ष लंबित है। ऐसे में सातवें वेतनमान का लाभ अभी नहीं दिया जा सकता।
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com