आज भगवान श्रीकृष्ण के बडे भ्राता भगवान बलराम की जंयती हैं, बलराम को शेषनाग का अवतार माना जाता हैं। इससे पूर्व रामअवतार के समय लक्ष्मण जी को भी शेषनाग का अवतार माना जाता हैं। इस त्यौहार को पूरे देश में मनाया जाता हैं। लेकिन हर जगह इसके नाम अलग हैं, भगवान बलराम के हथियार हल को पूरे देश में किसानों के परिवारों द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भगवान बलराम की जंयती को हल षष्ठी भी कहा जाता हैं।
हल षष्ठी की पूजा की विधि और ऐसे की जाती हैं पूजा
हल षष्ठी का त्यौहार पूरे भारत में खेती समुदायों द्वारा अत्यधिक समर्पण के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार की परंपरा मुख्य रूप से महिला लोक द्वारा की जाती है। आज के दिन महिला सूर्योदय के समय उठती है और जल्दी स्नान करती है। फिर वे इस छठ पूजा के लिए तैयारी करना शुरू कर देते हैं।
पूजा की जगह को पहले साफ किया जाता है और फिर गाय गोबर के साथ पवित्र किया जाता है। तब एक घेरे नुमा छोटा कुआं तैयार किया जाता है और भूसे घास, पलाश और भगवान बलराम के हथियार हल हो रखा जाता हैं। इसके बाद समृद्धि और अच्छी फसल के लिए महिलाओं द्वारा पूजा की जाती है। इस पूजा में हल को खेतो का राजा मानकर उससे विशेष प्रार्थना की जाती हैं। इस पूजा में गाय का दूध निषेध रहता हैं। इस कारण भैंस का दूध उपयोग कर सकते हैं।
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