भोपाल। प्रदेश के शालाओं में महिला एवं पुरुष अध्यापक आंशिक या पूरे काले वस्त्र पहनकर शालाओं में पहुंचे तथा दिन भर अपने कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से किया तथा शिक्षक दिवस को काले दिवस के रुप में मनाया। सम्मान समारोह से दूरी बनाये रखी।
प्रदेश में जगह-जगह पर शाला से लौटने के पश्चात अध्यापकों ने शाम को विकासखंड-जिला मुख्यालयों पर शासन द्वारा मृत घोषित शिक्षक पद को श्रद्धांजलि देने हेतु श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन कर रखा। अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश एवं अध्यापक संघो के शीर्ष नेताओं का मुख्यमंत्री पर सीधा आरोप है कि 21 जनवरी को अपने आवास से शिक्षा विभाग में संविलियन और समान कैडर का वादा अध्यापकों से किया गया था एवं लीलावती अस्पताल मुंबई से अन्य कर्मचारियों की तरह अध्यापकों को भी सातवां वेतनमान जनवरी 2016 से देने का वादा किया गया था। जिससे अब मुख्यमंत्री पूरी तरह मुकर गए हैं।
शिक्षा विभाग में संविलियन के स्थान पर अब अध्यापकों को राज्य स्कूल से शिक्षा सेवा में अन्य पदनाम के साथ नियुक्ति दी जा रही है। इसके लिए ऑनलाइन विकल्प अधिकारियों के माध्यम से अध्यापकों पर दबाव डालकर जबरन भरवाए जा रहे हैं। वास्तविकता यह है कि नियमित कैडर में नियुक्ति की सेवाशर्तें सुविधाओं, मूलवेतन आदि से अध्यापकों को अवगत नहीं कराया गया है और विकल्प चयन के लिए बाध्य किया जा रहा है। जिससे अध्यापक आक्रोशित है। प्रदेश का अध्यापक महसूस कर रहा है कि शासन फिर से अध्यापकों की वरिष्ठता हजम कर शोषण के नए दौर की शुरुआत करने जा रही है। इसलिए इसका पूरे प्रदेश में व्यापक विरोध है और प्रदेश का अध्यापक शिक्षक दिवस को काले दिवस के रुप में मना रहा है।
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