भोपाल। अध्यापकों ने सीएम शिवराज सिंह का विरोध किया था। कई उपचुनावों में सरकार के खिलाफ काम किया और शिवराज सिंह की दनादन घोषणाओं व रैलियों के बावजूद भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। अब खबर आ रही है कि शिवराज सिंह ने उन सभी इलाकों की संविलियन प्रक्रिया अटकवा दी है जहां उनका विरोध हुआ था। अधिकारियों ने प्रक्रिया को पेंडिंग कर दिया है। रणनीति है कि आचार संहिता तक विरोध करने वाले अध्यापकों के संविलियन आदेश जारी ना किए जाएं और फिर चुनाव बाद देखेंगे इनका क्या करना है।
भोपाल समाचार को एक गोपनीय पत्र मिला है। संभव है यह केवल आरोप हो, परंतु यदि इसमें सत्यता है तो यह एक गंभीर मामला है। मुख्यमंत्री के पद पर बैठा हुआ व्यक्ति इस तरह भेदभाव नहीं कर सकता। पढ़िए क्या लिखा है इस पत्र में:
महोदय, में आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि वर्तमान में अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलयन की प्रक्रिया पूरे प्रदेश में बड़े जोरों शोरों से चल रही है परंतु इसमें अब एक नया पेंच आ गया है। कई जिले जो इस प्रक्रिया में आगे चल रहे थे और वहां अध्यापकों की प्रावधिक सूचियां भी समय पर तैयार हो गईं थी और इन जिलों में अध्यापकों की संख्या भी सबसे अधिक ही है, उन्हीं जिलों की प्रावधिक सूचियाँ अभी तक दावा आपत्ति के लिए जारी नहीं हो पाई हैं जबकि सागर जैसे जिले में अध्यापकों के नियुक्ति आदेश भी जारी हो गए हैं।
अब राज की बात ये है कि इन जिलों में प्रावधिक सूचियाँ कलेक्टर कार्यालयों में जिला समिति के हस्ताक्षर के इंतज़ार में पिछले 4 दिनों से पड़ी हुई हैं पर अधिकारियों को सूचियों पर हस्ताक्षर का समय नहीं मिल पा रहा है। दिनांक 29.09.18 को व्हीसी होनी है जिसमें नियुक्ति आदेश निकालने की प्रक्रिया बताई जानी है ताकि समय सारणी अनुसार 30 सितंबर को नियुक्ति आदेश जारी हो सकें। श्योपुर जैसे जिले में डीपीआई के एक अधिकारी ने स्वयं आकर कार्य को समय पर पूर्ण कराया परंतु आज तक लंबित जिलों की तरफ किसी भी अधिकारी ने ध्यान क्यों नहीं दिया?
इन जिलों में अगर अब एक दो दिन में प्रावधिक सूची जारी भी कर दी जाती है तो भी दावा आपत्ति के लिए कम से कम दो दिन का समय देना पड़ेगा। उसके बाद दावा आपत्ति का निराकरण करके नई सूची तैयार करने में 4 से 5 दिन का समय लगेगा उसके बाद फिर से जिला समिति के हस्ताक्षर कराने होंगे। इस कार्य के पूरे होने से पहले ही चुनाव अधिसूचना जारी हो जाएगी।
अब जो बात निकल कर आ रही है वो ये है कि शिवपुरी जैसे जिले जहां अध्यापकों ने सरकार का उपचुनावों में या अन्य मुद्दों पा विरोध किया था उन जिलों को राजनीतिक प्रतिशोध का भाजन बनना पड़ रहा है। इन जिलों में सूचियों को किसी भी तरह लंबित रखने का निर्देश अंदरूनी तौर पर प्राप्त हुआ है ताकि चुनाव अधिसूचना जारी हो जाये और संविलयन की प्रक्रिया चुनाव की भेंट चढ़ जाए।
आज आजाद अध्यापक संघ के सचिव जावेद खान के कथन से भी इस बात की पुष्टि हुई है जिसमें उन्होंने कहा है कि राजनीतिक गतिरोध से प्रभावित जिलों की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री स्वयं करेंगे। मुझे इस बात का दुख है कि अध्यापक जो कि इस घड़ी का इंतज़ार वर्षों से कर रहे थे आज लक्ष्य के करीब पहुंचकर उनके साथ फिर से राजनीति का खेल खेला जा रहा है।
संपादक महोदय से निवेदन है आप इस मुद्दे को अपने स्तर से उठाएं ताकि लाखों अध्यापक जिनको अब जाकर अपना हक प्राप्त होने वाला है किसी राजनीतिक विद्वेष का शिकार ना हो जाएं।राज्य के लाखों आपके दिल से अहसानमंद रहेंगे।
कृपया मेरी पहचान उजागर न करें।
धन्यवाद
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