पटना। एससी-एसटी एक्ट के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी करने संसद में पारित किए गए अध्यादेश के बाद उठे बवाल के बाद अब राजनीति पार्टियां एकजुट होते सवर्णों वोट बैंक को अपने साथ मिलाने की कोशिश में लग गईं हैं। जेडीयू और कांग्रेस ने यहां गरीब सवर्णों को 15 प्रतिशत आरक्षण की मांग की है। उधर रामविलास पासवान ने अनुसूचित जातियों का आरक्षण सिस्टम बचाने के लिए सवर्णों को आरक्षित करने का एक फार्मूला भी सुझाया है।
पिछले दिनों एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया था। उस निर्णय के बाद केंद्र सरकार ने विधेयक लाकर दलितों के गुस्से को शांत करने की कोशिश की, लेकिन सवर्णों को केंद्र सरकार का फैसला नागवार गुजरा। केंद्र के फैसले के खिलाफ सवर्णों ने भी बंद का आह्वान किया। विवादों ने एक नए राजनीतिक मुद्दे को जन्म दे दिया। राजनीतिक दलों के द्वारा सवर्णों को आरक्षण देने की मांग उठने लगी। कांग्रेस पार्टी ने खुले तौर पर मांग कर दी कि गरीब सवर्णों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
सवर्णों को आरक्षण दिए जाने को लेकर एनडीए और महागठबंधन में एक राय नहीं है। एनडीए के प्रमुख सहयोगी जेडीयू का मानना है कि गरीब सवर्णों को हर हाल में आरक्षण मिलना चाहिए। पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जेडीयू चाहता है कि सवर्णों में जो गरीब हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ मिले। जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी 'हमने' भी गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की वकालत की है।
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com