भोपाल। भारतीय जनता पार्टी में इस बार टिकट को लेकर जबर्दस्त विवाद सामने आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव सिर पर आ चुके हैं लेकिन अब तक सर्वसम्मति से कोई टिकट फाइनल नहीं हो पाया है। यहां तक कि मौजूदा विधायकों के टिकट कटवाने के लिए लॉबिंग हो रही है। सांसद और जिलाध्यक्ष भी कई विधायकों से नाराज हैं और पार्टी मंच पर खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। हालात यह है कि भोपाल से लेकर दिल्ली तक तनाव पसरा हुआ है। यदि एक तरफा फैसला हो गया तो भितरघात का खतरा बना रहेगा।
भाजपा के कार्यकर्ता महाकुंभ के बाद भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने पार्टी के सांसद/विधायक एवं जिलाध्यक्षों की मीटिंग ली। रामलाल ने उन्हे समझाने की हर संभव कोशिश की। सांसद और विधायकों के आपसी रिश्तों को लेकर भी नसीहत दी। कहा गया कि टिकट का वितरण सर्वे के आधार पर होगा। इधर टिकट की मांग कर रहे नेताओं का कहना है कि सर्वे कब हुआ और कैसे हुआ किसी को नहीं पता। सर्वे की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर चहेतों को टिकट की सिफारिश कर रहे सांसद व जिलाध्यक्षों ने दावे किए हैं कि यदि उनके मुताबिक टिकट वितरण हुआ तो जीत की गारंटी है। अप्रत्यक्ष रूप से धमकी भी दी है कि यदि फैसले में कार्यकर्ताओं को अनसुना कर मनमानी हुई तो इस बार भितरघात हो सकता है। संगठन महामंत्री रामलाल ने कहा कि हर समय जिलाध्यक्ष अथवा सांसद द्वारा विधायक की निगेटिव छवि बनाने की कोशिश न की जाए। कई जगह से शिकायतें मिल रही हैं। विधायकों से समन्वय रखें। अनावश्यक सोशल मीडिया पर कुछ भी न लिखें।
बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने भी कहा कि किसी की भी छोटी-मोटी गलती से वातावरण नहीं बिगड़ना चाहिए। बयान देने में सावधानी बरतें। पार्टी में प्रत्याशी चयन की एक पद्धति है। भीड़ लाने या दिखाने से कुछ नहीं होगा। सर्वे टिकट का बड़ा आधार होगी। जरूरत पड़ी तो राय के लिए जिलों में पेटी भी घुमाई जाएगी।
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