नई दिल्ली। दिल्ली के नवनिर्मित डा. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर के भव्य भवन में बीजेपी की दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आज दूसरा और आखिरी दिन था। यहां जारी बैठक में चार राज्यों और 2019 के लोकसभा चुनाव पर रणनीतिक चर्चा चल रही थी। इस दौरान एससी एसटी एक्ट मामले में अमित शाह के रुख की समीक्षा भी हुई। उत्तरप्रदेश के एक दिग्गज नेता ने स्पष्ट किया आखिर क्यों बीजेपी को अनुसूचित जातियों की नाराजगी से डर लगता है और क्यों सवर्णो के एतिहासिक विरोध के बावजूद भाजपा निश्चिंत है।
बीजेपी ने कोई राजनीतिक चूक नहीं की है
बैठक में चर्चा चली कि सवर्ण इस बात से नाराज हैं कि बीजेपी दलितों के आगे झुक गई और उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून में बदलाव कर दिया। इस संदर्भ में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यूपी के एक बड़े बीजेपी नेता ने बीजेपी की रणनीति के पीछे उपस्थित तर्कों का रहस्योद्घाटन किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या सवर्णो की नाराजगी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को महंगी नहीं पड़ेगी? तो बीजेपी नेता ने कहा कि दलित और पिछड़ा वर्ग अत्याचार निवारण एक्ट के पीछे डट कर खड़े होकर बीजेपी ने कोई राजनीतिक चूक नहीं की है न ही कोई आफत मोल ली है।
कोई पार्टी सवर्णों के सपोर्ट में नहीं आएगी
उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ सवर्ण नाराजगी से बीजेपी को नुकसान इसलिए नहीं होगा क्योंकि सवर्ण नाराजगी को कोई नेतृत्व नहीं मिलेगा। कोई भी पार्टी इसके सपोर्ट में आने की हिम्मत नहीं करेगी। जबकि दलित नाराजगी तो आंदोलन बन सकती थी। इसलिए दलित नाराजगी का बड़ा खामियाज़ा बीजेपी को उठाना पड़ जाता। आखिर बीजेपी ये कैसे भूल सकती है कि दलितों और पिछड़ों के वोट के बिना 2014 का चुनाव किसी हाल में नहीं जीता जा सकता था। इस बात के जवाब में कि क्या बीजेपी इस बात का फायदा उठा रही है कि सवर्ण जातियों के पास बीजेपी के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है? यूपी के स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि ऐसा कहना विनम्रता के खिलाफ होगा।
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