ग्वालियर। स्नेहालय आश्रम की एक मूक-बधिर महिला से दुष्कर्म और फिर गर्भपात की घटना सामने आने के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं। शनिवार को जब महिला बाल विकास विभाग की टीम काउंसलर के साथ पहुंची तो सामने आया कि बालिकाओं को पीरियड रोकने वाला इंजेक्शन हर महीने लगाया जाता था। बालिकाओं को खाने के बाद नींद की दवा दी जाती थी। अगर कोई नींद की दवा खाने से इनकार करता था तो उसे खाने में मिलाकर दवा खिलाई जाती थी। विभाग की टीम ने गर्भनिरोधक इंजेक्शन, गोलियां तक आश्रम से बरामद की हैं। मूक-बधिर और मंदबुद्धि बच्चों के लिए संचालित स्नेहालय आश्रम में क्या-क्या होता था? इसकी परतें खुलना शुरू हो गई हैं।
इस खुलासे से यह तो स्पष्ट हो गया है कि आश्रम में सबकुछ ठीक नहीं था। इस आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अन्य बालिकाओं के साथ भी कुछ गलत हुआ है। साथ ही इसमें आश्रम संचालक अौर उनकी पत्नी से लेकर हर कर्मचारी की भूमिका संदेह के घेरे में है। वहीं पुलिस ने शनिवार को केयरटेकर प्रभा देवी को गिरफ्तार कर लिया। उसे व चौकीदार साहिब सिंह को जेल भेज दिया गया।
जांच में पता लगा है कि स्नेहालय को अमेरिका, इंग्लैंड के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड से भी फंड मिलता था। आश्रम में बच्चों के लिए काफी सामान भी इन देशों से आता था। इंग्लैंड और अमेरिका के एनजीओ से जुड़े सदस्य, एनआरआई सबसे ज्यादा विजिट करते थे। प्रशासन भी इसी आधार पर जांच करा रहा है कि यह मामला सिर्फ एक मूक-बधिर महिला के साथ दुष्कर्म तक ही सीमित है या पुराने कुछ और भी मामले स्टाफ द्वारा दबा दिए गए हैं।
विभाग के अधिकारियों ने जब स्नेहालय के स्टाफ से बालिकाओं की शिकायत के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि मंदबुद्धि बालिकाएं अपनी देखरेख नहीं कर सकतीं, इस कारण पीरियड रोकने के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। अधिकारियों के यह पूछने पर कि जो मंदबुद्धि नहीं हैं, उन बालिकाओं को यह इंजेक्शन क्यों लगाया जाता है? इसका जवाब स्टाफ के पास भी नहीं था।
स्नेहालय आश्रम में किस तरह का व्यवहार बालिकाओं से किया जाता था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बालिकाओं को मेल कंपाउंडर इंजेक्शन लगाते थे। जबकि बालिकाओं को फीमेल द्वारा इंजेक्शन लगाया जाना चाहिए था। डॉ. रीना सक्सेना और उनकी टीम ने करीब तीन घंटे में 25 बालिका व महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण व प्रेग्नेंसी टेस्ट किया। सीएमएचओ डॉ.मृदुल सक्सेना और डॉ.रीना सक्सेना का कहना है कि एक भी महिला न तो गर्भवती पाई गई और न ही किसी में किसी तरह की एबनॉर्मेलिटी पाई गई।
स्नेहालय में ही एक एचआईवी पीड़ित युवती रहती थी। डाॅ. शर्मा की पहली पत्नी को बचपन में वह मिली थी। स्नेहालय बनने के बाद उसे सबसे पहले यहां लाया गया था। उसके बारे में शनिवार को पता लगा कि कुछ माह पहले उसकी मौत हो गई। आश्रम में स्टाफ का कहना था कि वह बीमार थी और जब बाथरूम में नहा रही थी तो वह गिर गई थी। इसी दौरान उसकी मौत हो गई थी।
महिला बाल विकास विभाग के बाल संरक्षण अधिकारी सतीश जयंत अपनी टीम और दो महिला काउंसलर गीतांजलि गिरवाल, सबा रहमान के साथ दोपहर 2 बजे स्नेहालय आश्रम पहुंचे। उनके साथ स्वास्थ्य विभाग से महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.रीना सक्सेना व उनकी टीम भी थी। आश्रम में कुल 55 बच्चे, महिलाएं हैं, जिनमें से 48 बालिकाएं, महिलाएं व 7 बच्चे व युवक हैं। महिलाओं का मेडिकल चेकअप और प्रेग्नेंसी टेस्ट के दौरान शुरू किया गया। महिला काउंसलर ने बच्चियों की काउंसिलिंग उनके रूम में जाकर शुरू की।