भोपाल। मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने सर्वजन हिताय का नारा तो लगा दिया परंतु जातिवाद से शुरू हुई पार्टी में अब भी सारी प्रक्रियाएं जाति पर आधारित ही चल रहीं हैं। पार्टी फंड जुटाने के लिए कांग्रेस की तर्ज पर दावेदारों से एक निश्चित रकम वसूली जा रही है। कांग्रेस में दीपक बावरिया ने सभी दावेदारों से 50 हजार रुपए प्रत्येक तय किया था परंतु बीएसपी में यह जाति पर आधारित है।
पार्टी टिकट के दावेदारों से बॉन्ड भरवाएगी। इसके तहत पार्टी एससी-एसटी वर्ग के दावेदारों से पांच हजार, ओबीसी वर्ग से दस हजार और सामान्य वर्ग के दावेदारों से पंद्रह हजार रुपए फंड आवेदन के साथ देना तय किया है। पार्टी को अभी तक तीन सौ से ज्यादा दावेदारों के आवेदन मिल चुके हैं। सबसे ज्यादा आवेदन रीवा, ग्वालियर-चंबल, सागर संभाग से मिले हैं।
मध्य प्रदेश में बसपा उन विधानसभा सीटों पर मजबूत होने का दावा करती है, जहां पिछले चुनावों ने उसने अच्छा ख़ासा वोट प्रतिशत हासिल किया है। करीब 75 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिस पर बसपा ने मजबूत होने का दावा किया है। बसपा की मध्य प्रदेश इकाई पार्टी सुप्रीमो मायावती को यह रिपोर्ट भेजने की तैयारी में है और इसी रिपोर्ट के आधार पर गठबंधन में टिकटों का बंटवारा हो सकता है।
प्रदेश में बसपा के प्रभाव वाले क्षेत्र
मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल संभाग में प्रभाव है। साल 2013 के चुनाव में बसपा के खाते में चार सीटें आईं थीं। इसमें 62 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां बीएसपी को 10 हजार और 17 सीटों पर 30 हजार वोट मिले थे।
पिछले चुनाव में स्थिति
मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को 6.29 फीसदी वोट मिले थे और पार्टी ने कुल चार सीटें जीती थीं। वहीं, भाजपा को 44.88 फीसदी वोट, कांग्रेस को 36.38 फीसदी वोट मिले थे। पिछले चुनाव में राज्य की 230 विधानसभा सीटों में भाजपा ने 165, कांग्रेस ने 58 सीटें जीती थीं।
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