बर्खास्त कर्मचारी को मध्यावधि वेतन का अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट | Dismissed employee Salary Supreme court

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। यदि किसी कर्मचारी को विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद बर्खास्त किया जाता है और फिर किसी अपील के माध्यम से कर्मचारी की बर्खास्तगी रद्द हो जाती है तो बर्खास्त होने की दिनांक से वापस नौकरी पर लौटने के मध्य की अवधि का वेतन उसे नहीं दिया जाएगा। बता दें कि इससे पहले तक कर्मचारी मध्यावधि वेतन के लिए अदालतों का आदेश तक ले आया करते थे। 

जस्टिस ए.एम. सप्रे की पीठ ने यह फैसला राजस्थान सरकार की याचिका पर दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने परिवहन कर्मचारी को फिर से बहाल करने के साथ 13 वर्ष का बकाया वेतन देने का आदेश दिया था। पीठ ने आदेश में कहा कि कर्मचारी को साबित करना होगा कि बर्खास्तगी के दौरान वह कोई काम नहीं कर रहा था। कोर्ट ने कहा की नियोक्ता को कर्मचारी के दावों का विरोध करने का अधिकार है। वह ये सबूत ला सकता है कि कर्मचारी बर्खास्तगी के दौरान काम पर लगा हुआ था, इसलिए वह पिछले वेतन का हकदार नहीं है। 

गौरतलब है कि रोडवेज कर्मी को काम में कोताही करने पर सेवा से निकाल दिया गया था। लेबर कोर्ट ने उस सजा को ज्यादा पाया और उसे कम कर हटाने के बजाय चार वेतन वृद्धियां रोकने का आदेश दिया। साथ में पूरा पिछला वेतन देने का आदेश दिया। इसके खिलाफ सरकार हाईकोर्ट गई लेकिन वहां पहले एकल पीठ और फिर खंडपीठ ने सरकार की अपील याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट आई थी।
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