कांग्रेस ने मध्यप्रदेश ने जारी होने वाले अपने चुनावी विचार पत्र में अवैध खनन रोकने और पर्यावरण सुरक्षा को मुद्दा बनाया है। यह विचार पत्र अन्य मुद्दों के साथ जनता के सामने आता उसके पहले ही उसके प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व पर्यावरण मंत्री कमलनाथ पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन का आरोप प्रमाणित मानते हुए 10 लाख का जुरमाना किया था, जैसा समाचार वायरल हो गया। प्रदेश कांग्रेस के सामने संकट आ गया है कि आगामी चुनाव में इस मुद्दे पर जनता का सामना कैसे करें ? कांग्रेस प्रदेश विधान सभा के आगामी चुनाव में मध्यप्रदेश में हुए अवैध उत्खनन और पर्यावरण विनाश को एक प्रमुख मुद्दा बनाने जा रही थी।
राजनीतिक हल्के में इस समाचार को पुन: दोहराने के पीछे प्रदेश कांग्रेस के एक गुट का हाथ होने के आरोप भी लगने लगे हैं। वैसे इस मामले की जद में व्यास नदी के किनारे कुल्लू मनाली में खड़ा कमलनाथ का होटल है। इस होटल के निर्माण में हुई अनदेखी को सर्वोच्च न्यायलय ने पारिस्थितिकी के साथ गंभीर छेड़छाड़ ही नहीं माना था बल्कि जुर्माने की राशि स्थानीय प्रशासन को अदा करने और इसका उपयोग इस परियोजना से स्थानीय पर्यावरण को पहुंचे नुकसान की भरपाई में करने के आदेश भी दिए थे। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश का पालन नहीं किया गया है और मामला यहाँ से वहां आ जा रहा है।
इस मामले का एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया है कि यह सब अर्थात सारी अनुमतियाँ उस दौरान मिली जब कमलनाथ केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्री रहे थे। पर्यावरण से छेड़छाड़ गंभीर विषय है चाहे वो किसी भी राज्य में हो। मध्यप्रदेश में भी यह एक गंभीर मुद्दा है। चाहे खदानों से अवैध उत्खनन हो या नदी के सीने को चीर कर रेत निकालने का मामला। कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बनाना चाहती थी। यह सिर्फ चुनाव का मुद्दा नहीं है प्रकृति के साथ गंभीर अपराध है। राजनीतिक दांव पेंच में उलझा कर दोनों ही दल मध्यप्रदेश के इस गंभीर मुद्दे को हवा में गायब करना चाहते हैं।
कांग्रेस में गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। यह गुटबाजी गड़े मुर्दे उखाड़ने से लेकर एक दूसरे पर गंभीर वार करने से भी नहीं चूक रही है। कमलनाथ के इस मुद्दे पर प्रदेश के एक जिम्मेदार कांग्रेस पदाधिकारी की टिप्पणी है “ यह चुनाव है और उसमें सब जायज है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।