यह गंभीर चेतावनी मध्यप्रदेश के साथ गुजरात के लिए भी है की अब नर्मदा का पानी उपचार के बिना नहीं पिया जा सकता। नर्मदा के जल का, पीने के पहले उपचार जरूरी हो गया है। किसी भी जल स्रोत से प्राप्त पेयजल के कुछ मानक तय हैं। स्रोत से सीधे प्राप्त पेयजल को “ए” और उपचार के बाद पीने योग्य पानी को “बी” ग्रेड दिया जाता है। इसके कुछ मापदंड तय है। 15 से अधिक स्थानों से नमूनों ने नर्मदा के पानी को “बी” ग्रेड मिला है। इसकी जाँच प्रदूषण निवारण मंडल ने की है। तय मापदंड़ो के अनुसार “ए” ग्रेड पानी में टी कोलीफार्म (बैक्टीरिया) की मात्रा 100 मिलीलीटर पानी में 50 मिलीग्राम से कम होना चाहिए। वहीं घुलित ऑक्सीजन 6 मिलीग्राम से अधिक और बायोकेमिकल 2 मिलीग्राम से कम होना चाहिए। जिन स्थानों पर बी ग्रेड का पानी मिला है, वहां ये तीनों तत्व मानक से ज्यादा मिले हैं। होशंगाबाद में टी कोलीफार्म की मात्रा काफी अधिक मिली है।
यह कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा नर्मदा नदी का बारिश ने ग्रेड बिगाड़ दिया है। नदी का पानी अपने उद्गम स्थल अमरकंटक समेत प्रदेश 15 स्थानों में बी ग्रेड का पाया गया है। जिन स्थानों से यह नमूने लिए गये हैं उनमे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का गाँव जैत भी शामिल है। शेष अन्य स्थानों में उद्गम स्थल पुष्कर डेम अमरकंटक, डिंडोरी अप स्ट्रीम, डाउन स्ट्रीम, संदिया, शाहगंज, बांदराभान, रामनगर, बुधनी, कोरीघाट, नेमावर होशंगाबाद, सेठानीघाट होशंगाबाद, होलीपुरा शामिल हैं।
मध्यप्रदेश में अनूपपुर के अमरकंटक से लेकर आलीराजपुर के सोंडवा तक नर्मदा अपने 1077 किमी लंबे सफर के दौरान राज्य के 16 जिलों से होकर गुजरती है, जिसमें 50 स्थानों पर हर माह इसके जल की सैंपलिंग और फिर जांच की जाती है। अगस्त माह में जो रिपोर्ट आई है, उसमें 50 में से 15 स्थानों पर पानी को बी ग्रेड दी गई है, जबकि जुलाई माह में नर्मदा के जल को केवल 7 स्थानों पर बी ग्रेड मिली थी। सोंडवा के बाद नर्मदा गुजरात में चली जाती है मध्यप्रदेश में उद्गम और बहाव के दौरान नर्मदा जल अपनी प्राकृतिक सफाई से होकर गुजरता है। अंधाधुंध खुदाई ने गुजरात में मिलने वाले जल की गुणवत्ता पर भी गुजरात प्रदूषण निवारण मंडल प्रश्न खड़े कर चुका है।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारिक सूत्रों अनुसार, प्रदेश की 30 प्रतिशत से अधिक आबादी नर्मदा नदी के आसपास निवास करती है। साथ ही इंदौर और भोपाल जैसे शहर के लोगों की प्यास भी यही नदी बुझा रही है, लेकिन कुछ स्थानों पर इसका पानी बी ग्रेड हो गया है। बोर्ड का मानना है कि ए ग्रेड के पानी से श्रद्धालु आचमन कर सकते हैं, लेकिन इसे बैक्टीरिया रहित कर पीया जा सकता है। वहीं बी ग्रेड का पानी बिना ट्रीटमेंट किए उपयोग नहीं कर सकते है। इस ग्रेड का साफ मतलब है कि बगैर ट्रीटमेंट किए नर्मदा का पानी नहीं पीया जा सकता है। यह खुलासा प्रदूषण विभाग की अगस्त माह की रिपोर्ट में हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर तक नर्मदा का पानी ए ग्रेड का था। सरकार को नर्मदा में मिलने वाले अपशिष्ट पर रोक लगाने के साथ नर्मदा की प्राकृतिक स्वच्छता प्रणाली को मजबूत करने लिए फौरन कोई योजना बनाना चाहिए।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।