योगेन्द्र सिंह पवार/होशंगाबाद। लगभग 27 वर्षों से वेतनमान और पदोन्नति विसंगति झेल रहे विभागाध्यक्ष और अधीनस्थ कार्यालय के स्टेनोग्राफर्स आचार संहिता ही दहलीज पर भी मुख्यमंत्री से मांगों की पूर्ति की उम्मीद लगाये हुए हैं। प्रदेश के कर्मचारियों में सबसे छोटे, अनुशासित, निष्ठावान् इस संवर्ग ने कभी अपनी मांगों के लिए अन्य संघों की तरह हड़ताल, प्रदर्शन, धरना आदि का सहारा नहीं लिया। शालीनता और अनुशासन के दायरे में ज्ञापनों के माध्यम से अपनी मांगों पर शासन का ध्यान आकर्षित किये जाने का प्रयास किया है। और जब मुख्यमंत्री स्वयं कहते हैं कि, मैं हड़ताली कर्मचारियों की बात नहीं सुनूंगा, तब इस शालीन और अनुशासित संवर्ग की जायज मांगों के प्रति उनकी उपेक्षा समझ से परे है ?
संघ की छोटी सी मांग है कि, स्टेनोग्राफर्स को प्रवेश वेतनमान में 2800 की जगह 3600 ग्रेड पे देते हुए निज सहायक को 4200, वरि. निज सहायक को 5400 और स्टॉफ ऑफीसर या समकक्ष प्रोन्नत पद के लिये 6600 ग्रेड पे देते हुए 9: 3: 1 की बजाय 9: 3: 2: 1 के अनुपात में पदोन्नति अवसर उपलब्ध कराये जायें । इसके लिये संघ ने शासन और प्रशासन स्तर पर ज्ञापनों के माध्यम से लगातार ध्यान आकर्षित कराया है।
फिर जब प्रदेश में स्टेनोगाफर्स के लिए शैक्षिक और तकनीकी अर्हता, भर्ती प्रक्रिया, सेवा शर्तें, कार्य पद्धति, कर्त्तव्य अवधि सब-कुछ समान हैं । किसी विभाग में इस पद के लिये विशिष्ट सेवा भर्ती नियम उल्लिखित नहीं हैं । तब प्रदेश में इस संवर्ग में वेतनमान और पदोन्नति अवसरों भी समान होने चाहिये । कुछेक विभागों में स्टेनोग्राफर्स को 3600 ग्रेड पे स्वीकृत है, और ज्यादातर विभागाध्यक्ष और अधीनस्थ कार्यालयों में 2800 ग्रेड पे।
सुप्रीम कोर्ट के समान काम-समान वेतन संबंधी निर्णयों और संविधान में समानता के अधिकार के परिप्रेक्ष्य में और प्राकृतिक न्यायसिद्धान्त के दृष्टिकोण से भी कर्मचारियों के वेतनमान में ऐसी असमानता नहीं होनी चाहिये।
चिनार पार्क, भोपाल में 15 सितम्बर को प्रदेश भर से जुटे स्टेनोग्राफर्स संघ के सदस्यों और पदाधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें मांगों की उपेक्षा से शासन के प्रति हताशा और आक्रोश साफ दिखाई दिया।
बावजूद इसके, संघ का मानना अब भी यही है कि, जिस शालीनता, निष्ठा और अनुशासन के लिये यह संवर्ग जाना जाता है, उसके अनुकूल शासन और प्रशासन से संवाद कायम करते हुए अपनी मांगों के प्रति ध्यान आकर्षित कराने का प्रयास जारी रखा जाए । मध्यप्रदेश स्टेनोग्राफर्स संघ अब भी प्रदेश के मुख्यमंत्री से उम्मीद रखे हुए है कि, उनका ध्यान अंततः इस सबसे उपेक्षित और छोटे संवर्ग की जायज मांगों पर जायेगा और ढाई दशकों की मांग की पूर्ति वे करेंगे। हालांकि चुनाव आचार संहिता को संभवतः एक पखवाड़ा ही शेष है, फिर भी स्टेनोग्राफर्स संघ को मांगों के निराकरण की उम्मीद है।
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