FUTURE MAKER: पुलिस के बाद DGCI भी करेगी गिरफ्तार

नई दिल्ली। मल्टी लेवल मार्केटिंग के नाम पर अनाधिकृत निवेश योजना संचालन की आरोपित कंपनी  FUTURE MAKER LIFE CARE PRIVATE LIMITED के सीएमडी राधेश्याम सुथार (RADHE SHYAM) को यदि तेलंगाना पुलिस नहीं पकड़ती तो डीजीसीआई गिरफ्तार करने ले जाती। जिस दिन डायरेक्टरों की गिरफ्तारियां हुईं, उसके दूसरे दिन डीजीसीआई की टीम भी डायरेक्टर्स को अरेस्ट करने पहुंची थी। डीजीसीआई ने कार्रवाई से पहले सारे सबूत जुटा लिए थे। अब जबकि पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है तो डीजीसीआई इसके बाद अपनी कार्रवाई करेगी। 

इस मामले की जांच में जुटे अधिकारियों की मानें तो जुलाई 2017 से जुलाई 2018 तक कंपनी का 1500 करोड़ रुपए का टर्नओवर था, जोकि जीएसटी में ऑनलाइन दर्ज भी है। कंपनी की अगर पिछले दो माह की रिपोर्ट देखें तो हर महीने 150 करोड़ रुपए का व्यापार कंपनी कर रही थी। मगर शक कंपनी के काम करने के तरीके से शुरू हुआ। इसकी जांच डायरेक्टोरेट जनरल कमर्शियल इंटेलिजेंस (डीजीसीआई) पहले से ही कर रही थी। इसके लिए हिसार के सीजीएसटी अधिकारियों को साथ लेकर टीम बनाई गई थी। इसके बाद सेंट्रल जीएसटी टीम ने नोटिस देकर 27 करोड़ रुपए भरवाए थे। 

कच्चा माल नहीं लेकिन प्रोडक्ट बनते रहे
सीजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर दिनेश बिश्नोई ने बताया कि कंपनी राज्य में नहीं बल्कि केन्द्र में रजिस्टर्ड थी। डीजीसीआई केंद्र की एक अलग इंटेलीजेंस विंग है, तो उन्होंने अपने सूत्रों से पता किया कि यह फर्म करोड़ों के ट्रांजेक्शन कर रही है, मगर कई महीनों से रिटर्न नहीं भर रही थी। इस पर टीम ने जांच शुरू की, जिसमें हिसार के सेंट्रल जीएसटी के अधिकारी भी शामिल रहे। इसमें सीजीएसटी ने रिटर्न भरने के लिए पहला लेटर भेजा, मगर यहां देखा कि कंपनी लोगों को प्रोडक्ट की इन्वर्ट सप्लाई कर रही है। कंपनी में कुछ कच्चा माल ही नहीं तो प्रोडक्ट बन कैसे रहे थे। यहीं से शक हुआ। इसे फाइनेंस की भाषा में कहते हैं इन्वर्ट कुछ भी नहीं है और आउटवर्ट हजारों प्रोडक्ट हो गए। 

किसी सवाल का जवाब भी नहीं
यहां जांच टीम समझ गई थी कि यह लोगों को प्रोडक्ट के नाम पर रुपए निवेश करा रही है। कंपनी ने अपनी सप्लाई 5 करोड़ रुपए अंडमान निकोबार में और 32 करोड़ रुपए नॉर्थ ईस्ट में दिखा रखी थी। जांच टीम ने जब पूछा कि क्या इन जगह कंपनी का ऑफिस है तो यह जवाब नहीं दे सके। फिर सामान हिसार से जा रहा है तो किस ट्रांसपोर्ट से जा रहा है, क्योंकि अंडमान निकोबार के लिए फ्लाइट या दूसरे रास्तों का प्रयोग करना होगा। इसकी जानकारी भी कंपनी नहीं दे सकी। यह कार्यवाही चल ही रही थी कि तेलंगाना पुलिस ने इनके दो लोगों को अरेस्ट कर कंपनी का मेन ऑफिस सील कर दिया।

डीजीसीआई करने गई थी गिरफ्तारी
सीजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर दिनेश बिश्नोई बताते हैं कि यह फर्म शुरू से ही सेंट्रल में रजिस्टर्ड थी, वह इसकी जांच कर रहे थे कि इतने में फर्म के माल की गाड़ी स्टेट सेल टैक्स की टीम ने पकड़ ली। चूंकि इससे पहले ही हम फर्म को 4 से 5 महीनों का रिटर्न न भरने पर नोटिस दे चुके थे तो कंपनी एक बार 11 करोड़ दूसरे बार 15 करोड़ कुछ रुपये भर गई। यानि 27 करोड़ रुपए भरवाए गए। इनसे अगस्त महीने का 7 करोड़ रुपये का बकाया टैक्स लेना था, जिसके लिए हमने कंपनी को नोटिस भी दिया था। कंपनी की मोहलत 8 सितंबर को खत्म हो चुकी थी, हम सीएमडी की गिरफ्तारी के लिए इनके ऑफिस गए वहां पर सील मिली। यानि तब तक तेलंगाना पुलिस कार्रवाई कर चुकी थी। अब कंपनी पर 7 करोड़ रुपए टैक्स के और 1 करोड़ रुपए जीटीए के बकाया हैं। नियमानुसार 1 करोड़ रुपए से अधिक रिटर्न बाकी होने पर सीधे गिरफ्तारी होती है।

कैसे हुआ घोटाले के खुलासा
हरियाणा के हिसार जिले से जुड़े एमएलएम घोटाले का पर्दाफाश तेलंगाना पुलिस ने किया। उसने हिसार में आरोपी कंपनी ‘फ्यूचर मेकर’ के खिलाफ कार्रवाई की। कंपनी पर आरोप हैं कि उसने कई लोगों को अनेक तरह के लाचर देकर उनसे पैसे ऐंठे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नेटवर्क मार्केटिंग घोटाला करीब 1200 करोड़ रुपए का है। इस मामले में फ्यूचर मेकर कंपनी के सीएमडी राधेश्याम और डायरेक्टर सुरेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उनके घरों पर भी छापा मारा। वहां से बरामद उनके लेपटॉप और दूसरे दस्तावेजों की जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जांच के दौरान इस बात का पता लगाया जाएगा कि कथित तौर पर ठगी से जो पैसा आया उसका इस्तेमाल किन लोगों ने और कहां किया। मामले में आरोपियों की संख्या बढ़ भी सकती है।
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