दावे नहीं प्रमाण: विकास की तलाश में निकले थे अंधविश्वास मिल गया | JHABUA MP NEWS

झाबुआ@संजय पी.लोढ़ा। चुनावी मौसम में सभी पार्टियां आदिवासियों की हितैषी बनी बैठीं हैं। वो आदिवासियों के लिए किए गए विकास कार्यों को गिना रहीं हैं। योजनाओं के नाम बताए जा रहे हैं परंतु जमीनी हकीकत यह है कि अब तक आदिवासी अंचलों को अंधविश्वास से मुक्त नहीं कराया जा सका है। इसके लिए आप 1956 से आज तक की सभी सरकारों को दोष दे सकते हैं। हम आपको अंधविश्वास की ऐसी ही एक स्याह तस्वीर दिखा रहे हैं जिसे देखकर आप भी कहेंगे क्या ऐसा भी होता है।

महिला की पीठ पर चिपकी थाली पर कंकर मारते ये लोग एक विधि कर रहे है.... जिसके पूरा होने पर यह महिला बिल्कुल ठीक हो जाएगी। इस महिला का नाम शामली बाई है, जिसे एक सांप ने काटा है और उसके परिवार के लोग इसे अस्पताल ले जाने की बजाए बड़वे (तांत्रिक) के पास लेकर आए है। परिवार को मेडिकल सुविधाओं से ज्यादा इस तरह के अंधविश्वासों पर भरोसा है उनका मानना है कि इस विधि के बाद महिला के शरीर में फैला जहर खत्म हो जाएगा तब थाली भी गिर जाएगी और वह बिल्कुल ठीक हो जाएगी। 

आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के सुदूर ग्रामीण इलाकों में अमूमन ऐसी ही तस्वीरें सामने आती है। हमने जब इस पूरी प्रक्रिया और दावों को लेकर बड़वे (तांत्रिक) से बात की.... तो उसने ना केवल हर बीमारी का इलाज मंत्र से करने का दावा किया बल्कि हमें वह मंत्र भी बताया जिसकी मदद से महिला के शरीर में से जहर निकाला जा रहा था। मेडिकल साइंस को चुनौती देता मंत्र, जिसकी मदद से ज़हर भी बेअसर हो जाता है। 

जिले में छोटे-बड़े 265 स्वास्थ्य केंद्र है। बावजुद इसके जिले में अंधविश्वास फैला है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो अधिकांश सांप ज़हरीले नही होते और वे ठीक हो जाते है । यदि ज़हरीले सांप ने किसी इंसान को कांटा हो तो बीना मेडिकल ट्रीटमेंट के वह ठीक नही हो पाते और देरी की वजह से कई लोगों की जान चली जाती है।

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