इंदौर। खरगोन कलेक्टर कार्यालय के बाहर पिछले 20 दिनों से धरना दे रहे खारक बांध प्रभावितों का आज सब्र टूट गया। वो बड़ी संख्या में अचानक कलेक्टर कार्यालय की तरफ बढ़े और इससे पहले कि मौजूद पुलिस कर्मचारी दरवाजा बंद कर पाते, वो अंदर घुसते चले गए। आनन फानन बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स बुलाया गया। कलेक्टर कार्यालय गेट के अंदर घुसे प्रभावितों ने नारेबाजी करते हुए गीत गाना शुरु कर दिया। प्रभावितों ने दो टूक कहा कि या तो मुआवजा दो या जेल भेज दो। वरना हम बांध खाली कर देंगे।
बता दें कि पिछले 20 दिन से यह प्रभावित अपनी पुनर्वास व सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार मुआवजा राशि की मांग कर रहे हैं। उधर प्रशासन ने यह प्रकरण भोपाल में शासन स्तर पर लंबित होने की बात कह रहा है। मंगलवार को जाग्रत आदिवासी संगठन की नेत्री माधुरी बेन के नेतृत्व में सैकड़ों प्रभावित कलेक्टर कार्यालय में बैठ गए। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन उन्हें निर्धारित तिथि बताए कि जब उनके प्रकरणों का निराकरण हो जाएगा। एसडीएम अभिषेक गेहलोत इस प्रकरण में लगातार समझाइश देते रहे। इसके बावजूद प्रभावित शाम तक कलेक्टर कार्यालय में जमे रहे।
20 दिन से धरने पर हैं, मच्छर काटते हैं, बीमार हो गए हैं
प्रभावितों ने कहा कि वे पिछले 20 दिनों से धूप में सड़क पर बैठे हैं। मच्छरों और गंदगी से प्रभावित होकर बीमार हो रहे हैं। परंतु प्रशासन ने अब तक उनकी सुध नहीं ली। कई घंटों तक प्रशासन और आंदोलनकारी आमने-सामने रहे। दोपहर बाद प्रभावितों ने चेतावनी दी कि यदि 15 दिन में निराकरण नहीं हुआ तो कलेक्टर कार्यालय में ताला लगाएंगे। कलेक्टर शशिभूषण सिंह ने एक बार फिर शासन से चर्चा का आश्वासन दिया।
सुप्रीम कोट आदेश दे चुका है
उल्लेखनीय है कि खारक बांध प्रभावितों को पूर्व में मुआवजा मिल चुका है। इस मुआवजे की राशि को कम बताकर प्रभावित सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 2004 और 2008 की पुनर्वास नीति और मुआवजा निर्धारण को बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सबसे अधिक लाभ देने के निर्देश दिए। उधर शिकायत निवारण प्राधिकरण (जीआरए) अब तक एक वर्ष के कार्यकाल में 235 प्रकरणों में से 97 प्रकरणों को छोड़कर अन्य प्रकरणों में सुनवाई कर चुका है। प्रभावित पूरे प्रकरणों की सुनवाई और मुआवजा राशि शीघ्र देने की मांग पर अड़े हुए हैं।
तो कर दे कलेक्टर कार्यालय बंद
प्रशासन के सामने अड़े प्रभावितों और नेतृत्व कर रही माधुरी बेन ने कहा कि लगभग 20 दिन से प्रशासन शासन स्तर पर लंबित प्रकरणों की बात कर रहा है। यदि कलेक्टर कार्यालय इतना ही बेबस है तो इस पर ताला लगा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दो वर्षों में ज्ञापनों का अंबार लग गया परंतु कार्रवाई नहीं की गई। तीन वर्ष पहले इसी कलेक्टर कार्यालय से बांध बनाने के लिए आदेश दिया गया और छह गांवों को डुबा दिया गया।
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