भारत की राजनीति में संजय गांधी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। गांधी परिवार की राजनीति के चर्चे जब जब होंगे संजय गांधी को याद किया ही जाएगा। संजय गांधी किस तरह की राजनीति करते थे इसे लेकर काफी जानकारियां सार्वजनिक हो चुकीं हैं। हम आपको बताते हैं कि संजय गांधी की पर्सनल लाइफ कैसी थी। संजय गांधी की लवस्टोरी कब शुरू हुई और कैसे आगे बढ़ी:
टॉवेल का बोल्ड विज्ञापन देखकर संजय गांधी फिदा हो गए थे
मेनका गांधी उम्र में संजय गांधी से 10 साल छोटी थीं। उनकी बेइंतहा खूबसूरती और छरहरी कद-काठी की वजह से उन्हें 1973 में दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में 'मिस लेडी' चुना गया था। 'मिस लेडी' चुने जाने के बाद मेनका की लोकप्रियता बढ़ने लगी और उनके पास मॉडलिंग के भी ऑफर आने लगे। मेनका ने सबसे पहले डेल्ही क्लास मिल्स यानी डीसीएम के लिए एक टॉवेल का बोल्ड विज्ञापन किया। दिल्ली में जगह-जगह इसके होर्डिंग्स लगे। 'फ्रीप्रेस जर्नल' में सोनाली पिमपुतकर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, इसी विज्ञापन को देखकर संजय उन पर मोहित हो गए थे।
17 साल की थी मेनका और संजय गांधी ने..
संजय गांधी मेनका की कजिन वीनू कपूर के मित्र थे। वीनू की शादी के अवसर पर उनकी पहली बार मुलाकात मेनका गांधी से हुई। ये पहली मुलाकात 1973 में हुई। तब मेनका 17 साल की थीं। वो शाम दोनों ने साथ में बिताई। पहली ही मुलाकात में दोनों एक-दूसरे के काफी करीब आ गए। फिर मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा। उन्हीं दिनों संजय का हार्निया का ऑपरेशन हुआ था, मेनका उन्हें देखने रोज अस्पताल जाती थीं। दोनों के बीच करीब एक साल तक रिलेशनशिप रही।
संजय ने मेनका के पिता से मांगा उनका हाथ
मेनका फौजी पिता कर्नल आनंद की बेटी थीं। 'द संजय स्टोरी' में विनोद मेहता ने लिखा है, संजय ने आनंद के सामने उनकी बेटी से शादी करने का प्रस्ताव रखा। दिवंगत आनंद ने उस वक्त कहा था कि उन्हें कोई एतराज नहीं है बस संजय अपनी मां से बात कर लें।
इंदिरा गांधी ने मेनका का बुलाकर बताया
शादी की बात जब इंदिरा गांधी तक पहुंची तो उन्होंने मेनका को बुलाया। इंदिरा ने मेनका के सामने दो बातें रखीं, पहली यह कि उनके बेटे के साथ रहना इतना आसान नहीं है। दूसरी यह कि संजय मेनका से 10 साल बड़े हैं। मेनका ने जवाब दिया कि उन्हें दोनों ही बातें पता है। वह शादी के लिए तैयार हैं, उन्हें इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
हनीमून नहीं मनाया, सीधे काम पर निकल गए
सबको रजामंद करने के बाद 29 सितंबर, 1974 को दोनों की शादी हुई। बेहद सादगी भरे समारोह में परिवार के सदस्यों और करीबी मित्रों की मौजूदगी में गांधी परिवार के मित्र मुहम्मद यूनुस के घर में शादी हुई। मीडिया को इस शादी से दूर रखा गया। शादी के अगले दिन दोनों लोग हनीमून पर जाने की बजाए अपने-अपने काम पर निकल गए। मेनका चली गईं अपनी जर्मन क्लास में और संजय गए अपनी कार फैक्ट्री में।
संजय के साथ शुरू हुई थी मेनका की राजनीति
शादी के बाद सब कुछ अच्छा चल रहा था। दोनों अपने-अपने करियर को संवारने में लगे थे। संजय राजनीति की तरफ अग्रसर हो चुके थे। तो राजनीतिक दौरों पर मेनका भी उनके साथ जाती थीं। फिर अचानक 1980 हवाई दुर्घटना में संजय की मौत हो गई। उस वक्त वरुण गांधी मात्र 3 महीने के थे। इस घटना ने मेनका को तोड़कर रख दिया था।
मेनका ने छोड़ दिया घर
संजय की मौत के कुछ ही महीनों बाद मेनका और इंदिरा के बीच मतभेद की खबरें आने लगीं। दोनों के बीच कड़वाहट इतनी बढ़ गई कि संजय की मौत के एक साल बाद ही उन्होंने प्रधानमंत्री आवास को छोड़ दिया।
मेनका ने खुद बनाई अपनी राह
छोटे से बच्चे वरुण के साथ सास का घर छोड़ चुकीं मेनका ने अपनी राह खुद चुनीं। उन्होंने अपने दम न सिर्फ अपने बेटे को पालपोसकर बड़ा किया बल्कि उन्हें इस लायक बनाया कि आज उनकी गिनती एक योग्य और कुशल राजनीतिज्ञों में होती है।
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