भोपाल। एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ देश भर में चल रहे आंदोलन के बीच मध्यप्रदेश में कांग्रेस सधी हुई चालें चल रही है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने डिप्लोमेटिक बयान दिए हैं परंतु पूर्व मंत्री एवं विधायक गोविंद सिंह ने इस मामले पर अपना स्पष्ट मत प्रस्तुत किया गया। गोविंद सिंह मप्र के पहले विधायक हैं जिन्होंने खुलकर यह कहा कि हां, एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग होता है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
इतना ही नहीं लहार विधायक गोविंद सिंह ने सरकार पर भी निशाना साधते हुए सवर्णों के आंदोलन की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 15 दिनों से एससी/एसटी एक्ट को लेकर आंदोलन हो रहा है, लोकिन सरकार ने इस ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि इस मसले को हल करने के लिए सरकार को पहल करना चाहिए और सभी समाजों को साथ सर्वदलीय बैठक करना चाहिए। जिससे एक आम राय कायम हो। सरकार को जल्द ही इस मसले पर सही निर्णय लेना चाहिए।
आंदोलन का असर: हवाएं बदल रहीं हैं
मध्यप्रदेश में 15 दिन से तीव्र हुए एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ छापामार आंदोलन का असर अब साफ साफ नजर आने लगा है। नेताओं में काले झंडे, अंडे, टमाटर और जूतों की दहशत तो है ही, भाजपा के अधिनायकों के साथ साथ कांग्रेस हाईकमान भी इससे चिंतित हैं। मध्यप्रदेश में एससी/एसटी एक्ट विरोधियों ने खुद को एक वोटबैंक के रूप में प्रचारित कर दिया है। अब दोनों पार्टियों के सामने मुश्किल यह है कि एससी/एसटी एक्ट विरोधियों को अपने पक्ष में कैसे लाया जाए।
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