भोपाल। कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता बयान दे चुके हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की लगातार हार का एक कारण प्रत्याशियों की घोषणा में देरी भी है। उन्हे प्रचार और जनसंपर्क का समय ही नहीं मिल पाता। इस बार घोषणा की गई थी कि अगस्त में लिस्ट जारी कर दी जाएगी। फिर कमलनाथ ने कहा कि 15 सितम्बर तक लिस्ट जारी होगी। तारीख बढ़ी और 30 सितम्बर तक बताया गया लेकिन लिस्ट अभी भी दिल्ली में ही अटकी है। अब नई तारीख 8 अक्टूबर बताई जा रही है। इससे पहले आचार संहिता लागू हो जाएगी।
कांग्रेस में आंधी के आम लूटने की होड़
दरअसल, कांग्रेस में आंधी के आम लूटने की होड़ मची हुई है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से लेकर कांग्रेस के पंचायत स्तर के पदाधिकारी तक सब यह मानकर चल रहे हैं कि जनता शिवराज सिंह से नाराज है, इसलिए कांग्रेस की जीत सुनिश्चित है। अब हर कोई विधानसभा का टिकट हथियाना चाहता है। दिग्गजों में रार ठनी हुई है। नामों पर सहमति नहीं बन पा रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी आदत के अनुसार समय पर फैसले नहीं ले पा रहे हैं। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच होड़ मची है। सबसे ज्यादा टिकट अपने समर्थकों को दिलाना चाहते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने लिए सीटों का आरक्षण कर लिया है। अब एक दूसरे की सीटों को छीनने की कवायद जारी है। यह सबकुछ 2008 और 2013 में भी हो चुका है।
ये नाम फाइनल माने जा रहे हैं
पहली सूची में जिन विधायकों के नाम घोषित हो सकते हैं, उनमें नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, उपनेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन, लोकलेखा समिति अध्यक्ष रामनिवास रावत, डॉ गोविंद सिंह, केपी सिंह, आरिफ अकील, सुंदरलाल तिवारी, जीतू पटवारी, हिना कावरे, मधु भगत, रजनीश सिंह, मनोज अग्रवाल, फुंदीलाल मार्को, ओमकार सिंह मरकाम, ब्रजेंद्र सिंह यादव, महेंद्र सिंह यादव, हेमंत कटारे, योगेंद्र सिंह, हर्ष यादव, निशंक जैन, उमंग सिंघार, कमलेश्वर पटेल, यादवेंद्र सिंह, शैलेंद्र पटेल, महेंद्र सिसोदिया, गोपाल चौहान, जयवर्द्धन सिंह, सुरेंद्र बघेल, सौरभ सिंह, नीलेश अवस्थी, तरुण भानोत, संजीव उइके, सोहनलाल बाल्मीकि, जतन उइके, रामकिशोर दोगने, सचिन यादव, विजय सिंह सोलंकी और हरदीप सिंह डंग शामिल हैं।
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