भोपाल। कांग्रेस में बयानी नेताओं की कमी नहीं है। कमलनाथ भी ऐसे ही बयान जारी करते रहते हैं। ताजा बयान में उन्होंने बीजेपी के कार्यकर्ता महाकुंभ में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग एवं सरकारी खजाने केे अवैध उपयोग का आरोप लगाया है परंतु आरोप के साथ कोई खुलासा नहीं किया। उल्टा बयान के साथ कुछ सवाल पूछे हैं।
कमलनाथ ने कहा कि सम्मेलन में लगभग 1000 करोड़ रूपये खर्च होगा। यह पैसा किसान, युवा, आदिवासियों और गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का है। कहने को तो यह भाजपा का महाकुंभ है पर पीछे से इसका पूरा खर्च सरकारी खजाने से हो रहा है। इसके बाद उम्मीद थी कि कमलनाथ खुलासा करेंगे कि सरकार के किस विभाग से, किस मद से यह पैसा खर्च किया जा रहा है। विपक्ष में जब भाजपा थी तब वो डाटाबेस के साथ दिग्विजय सिंह सरकार का खुलासा करती थी परंतु यहां कमलनाथ बयान जारी करके रह गए।
ये सवाल पूछे हैं कमलनाथ ने
स्पष्ट करें कि इस मेगा इवेंट पर कुल कितना खर्च किया जा रहा है?
यह जो खर्च हो रहा है, वह कहां से हो रहा है? वे यह भी स्पष्ट करें कि यह खर्च भाजपा कर रही है या सरकार ?
यदि सरकार खर्च कर रही है तो बतायें कि किस मद से यह रूपया लुटाया जा रहा है?
यह भी बतायें कि कार्यक्रम के लिये कितनी यात्री बसें और स्कूल बसें अधिग्रहित की जा रही हैं।
साथ ही यह भी सपष्ट करें कि इस आयोजन का औचित्य व प्रदेश की जनता को इस मेगा इवेंट से क्या फायदा होने वाला है।
सवाल यह है कि कमलनाथ ने ये सवाल पूछे ही क्यों। उनका अपना नेटवर्क क्या इतना कमजोर है कि वो इस मेगाइवेंट के बारे में जानकारी नहीं जुटा पा रहा। सारा शहर होर्डिंगों से पटा पड़ा है। सब पर भाजपा का कार्यकर्ता सम्मेलन लिखा है। यदि सरकारी खर्चा हो रहा है तो विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते कमलनाथ का यह कर्तव्य है कि वो इसका खुलासा करें। यदि वो इतना भी नहीं कर पाते तो यह उनकी योग्यता पर सवाल होगा। उन्हे पद त्याग देना चाहिए।
अब कमलनाथ से कुछ सवाल
क्या आपने पता किया कि कार्यक्रम स्थल भाजपा के लिए आरक्षित हुआ है या मध्यप्रदेश शासन के लिए।
क्या आपने पता लगाया किसी बस का सरकारी अधिगृहण किया गया है।
क्या आपकी टीम के खुफिया कैमरों ने किसी आरटीओ को स्टिंग किया।
क्या आपने यह पता लगाने के लिए कोई आरटीआई लगाई कि किस विभाग की किस मद से सरकारी पैसा खर्चा किया जा रहा है।
क्या आपने सरकारी धन का दुरुपयोग रोकने के लिए किसी न्यायालय में कोई याचिका लगाई।
नेताओं को अब समझ लेना चाहिए कि जनता समझदार होती जा रही है। पुराने नोट बंद हो चुके हैं अब पुराने बयान भी बंद कर दिए जाने चाहिए। यदि तथ्य हैं तो सामने रखें और खुलासा करें। धुंआ उड़ाते बयानों से चुनाव नहीं जीते जा सकते।
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