भोपाल। मध्यप्रदेश में मालवा भाजपा का गढ़ कहा जाता है। मालवा के 10 जिलों में कुल 48 विधानसभा सीटें हैं, इनमें से 44 पर भाजपा का कब्जा है, कांग्रेस मात्र 4 पर सिमटी हुई है। 2003 से पहले कांग्रेस सरकार के समय भी यहां भाजपा का कब्जा होता था पंरतु अब हवाएं बदल रहीं हैं। यहां भी बैनर लगाए जाने लगे हैं।
पत्रकार मुस्तफा हुसैन की एक रिपोर्ट के अनुसार मालवा क्षेत्र के मंदसौर जिले की 4 सीटों में से 3 बीजेपी और 1 कांग्रेस के पास जबकि नीमच जिले की तीनों सीटें बीजेपी के पास हैं लेकिन अगर आने वाले विधानसभा चुनाव की बात करें तो हालात बीजेपी के पक्ष में उतने बेहतर दिखाई नहीं देते। दोनों जिलों के नीमच, जावद, मनासा, गरोठ, सुवासरा, मल्हारगढ़ और मंदसौर विधानसभा क्षेत्रों का भ्रमण किया। इनमें से मात्र एक सीट सुवासरा पर कांग्रेस के विधायक हैं, जबकि शेष सभी बीजेपी के कब्जे में हैं। भ्रमण के दौरान यह पाया कि इन दोनों जिलों में कुछ ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं, जो बीजेपी की राह में मुश्किल पैदा कर सकते हैं।
जनप्रतिनिधियों से पार्टी कार्यकर्ताओं ही नाराज
पार्टी के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों यानी मंत्री, विधायकों और सांसदों से आम जनता के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का। पार्टी के ही लोग अपने चुने हुए नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बोलने लगे हैं। गत 29 अगस्त को मंदसौर जिले की सीतामऊ तहसील के गांव देवरिया विजय में सांसद सुधीर गुप्ता को पार्टी के ही लोगों ने घेर लिया। उन्हें आधे घंटे तक जमकर खरी-खोटी सुनाई। गांव के युवक पंकज जोशी ने सांसद गुप्ता से पूछा कि आप चार साल बाद आए हैं। आपने गांव के लिए क्या काम किया? ऐसी ही घटना 30 अगस्त को नीमच जिले के सिंगोली में घटी, जहां लोग सांसद से सवाल करते दिखे और तो और, 2 अगस्त को तो सुवासरा में कुछ लोगों ने सांसद का पुतला भी फूंका। आरक्षण और एससी एसटी एक्ट के कारण सवर्ण और पिछड़ा वर्ग नाराज है। हिंदुत्व के कारण अनुसूचित जातियां भाजपा के साथ थीं अब वो भी 'जय भीम' बोल रहीं हैं।
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