भोपाल। शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा धमाल शिवपुरी में होते हैं। अब एक ताजा मामला सामने आया है। प्रभारी डीईओ ने एक आदेश जारी कर संविलयन हेतु प्रावधिक सूची पर दावा आपत्ति की लास्ट डेट घोषित कर दी गई है परंतु 30 सितम्बर 2018 सुबह 11 बजे तक सूची जारी नहीं की गई थी। जब इस बारे में अध्यापकों द्वारा सवाल किया गया तो प्रभारी डीईओ ने अध्यापकों को हड़का दिया। बोले यह गलती मेरी नहीं, पूर्व प्रभारी डीईओ की है।
भोपाल समाचार डॉट कॉम को मिले एक ईमेल में लिखा है: महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि शिवपुरी में अध्यापकों के संविलयन के कार्य का कोई ठौर ठिकाना नहीं है और न ही कोई जिम्मेदार है। कल दिनांक 29 सितंबर को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय शिवपुरी से एक आदेश जारी किया गया कि संविलयन हेतु प्रावधिक सूची पर दावा आपत्ति 2 अक्टूबर तक कार्यालय समय में प्रस्तुत की जा सकती है उसके बाद अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी। मजे की बात ये है कि आज दिनांक 30 सितंबर तक भी प्रावधिक सूची पोर्टल पर जारी नहीं की गई है जिसे देखकर दावा आपत्ति लगाई जा सके।
वर्तमान में शिवपुरी के डीईओ का प्रभार पोहरी के एसडीएम श्री सिन्डोसकर के पास है। उनके पहले यह प्रभार शिवपुरी डिप्टी कलेक्टर श्री प्रजापति के पास था। प्रजापति जी का छोटा सा कार्यकाल शिवपुरी के शिक्षा विभाग के इतिहास में स्वर्णिम माना जाएगा। वे बहुत ही सौम्य और सरल स्वभाव के थे। उन्होनें मॉडल और उत्कृष्ट विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति का कार्य बिना विवाद के मात्र एक दिन में पूरा कर दिया था। वे शिक्षकों को आफिस में ससम्मान बैठा कर उसकी समस्या का निदान करते थे। अगर आज वे होते तो अभी तक संविलयन का कार्य भी पूर्ण कर चुके होते।
आज जब शिवपुरी के अध्यापक संविलयन की सूची जल्दी जारी करवाने की मांग लेकर डीईओ श्री सिन्डोसकर के घर पहुंचे तो उन्होंने जबाब दिया "आपका कार्य आफिस में चल रहा है कल तक प्रावधिक सूची जारी हो जाएगी। जल्दी है तो आपमें से 4-5 लोग आफिस में मदद करने चले जाएं। मैने तो 8 मिनट में साइन कर दिए थे। ये सारी गलती पिछले डीईओ प्रजापति की है उन्ही के कारण विलंब हो रहा है। वो ही आने वाले अध्यापको को अपने बगल में बिठा लेते थे में ये सब नहीं करता। रोज ऐसे ही चले आते हैं दस बारह आप जैसे 302 और 307 बाले।
ये बात सुन कर अध्यापकों ने कहा हम ऐसे ही नहीं आये हैं बल्कि पेंशन योजना से सम्बंधित ज्ञापन देने आए है साथ ही संविलयन की सूची जारी नही हो रही उसका निवेदन करने आये है।अब सवाल ये उठता है सिन्डोसकर साहब जिन प्रजापति जी को दोषी ठहरा रहे हैं उन्होनें जाने से पहले जिले के समस्त संकुलों से पात्रता सूची मंगवा ली थी ओर जिला कार्यालय में सूची बन रही थी 19 सितंबर को इस कार्य को वर्तमान डीईओ महोदय ने लिया। तब प्रजापति जी इसके लिए दोषी क्यों हुए।
मेरा निवेदन है कि दूसरों पर दोषारोपण करने से अच्छा है खुद जिम्मेदारी से उस काम को जल्दी करावें और शिक्षकों की मर्यादा का भी ध्यान रखें।
संलग्न:- आदेश की प्रति। डीईओ महोदय से मुलाकात के फोटोग्राफ
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