MP NEWS: इंदौर में रिटायर्ड DIG का शव पेड़ पर झूलता मिला

Bhopal Samachar
इंदौर। मप्र पुलिस से रिटायर्ड डीआईजी आर एल बोरना का शव आज एक पेड़ पर झूलता हुआ मिला। पेड़ की टहनी पर ही एक सुसाइड नोट भी मिला जिसमें आत्महत्या की बात लिखी हुई है। वो सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। बताया जा रहा है कि आरएल बोराना एक ईमानदार अधिकारी थे और रिटायर होने के बाद गुमसुम रहने लगे थे। भोपाल में उन्होंने एक प्रॉपर्टी खरीदी थी जिसका नामांतरण नहीं हो पा रहा था जिससे वो काफी तनाव में थे। 

लसूड़िया पुलिस के अनुसार, मृतक रिटायर्ड डीआईजी 67 वर्षीय आरएल बोराना थे। वे घर के ग्राउंड फ्लोर पर अकेले रहते थे, जबकि छोटा बेटा, बेटी और दामाद ऊपर की मंजिल पर रहते थे। पत्नी और बड़ा बेटा शहर से बाहर रहता था। वे सुबह साढ़े चार से पांच बजे के बीच वॉक का कहकर घर से गए थे। साढ़े सात बजे लोगों ने उनका शव महाराणा प्रताप गार्डन में पेड़ से लटका देखा। 

बेटी, दामाद और बेटे ने पुलिस को बताया कि कुछ दिन से वे चिड़चिड़े हो गए थे। किसी से ज्यादा बात नहीं करते थे। कई बार बिना बताए चले जाते थे। परिजनों से यह भी पता चला कि वे कई बार वृद्धाश्रम में भी रहने चले गए थे। पोस्टमॉर्टम के बाद परिजन उनका शव अंतिम संस्कार के लिए मंदसौर में श्यामगढ़ स्थित पुश्तैनी गांव ले गए।

मौत के लिए खुद जिम्मेदार, परिवार की गलती नहीं
डीआईजी ने सुसाइड नोट में लिखा है-‘मैं शारीरिक तकलीफ से परेशान हूं। मेरी मौत का मैं खुद जिम्मेदार हूं। इसके लिए मेरे परिवार वालों की कोई गलती नहीं है। मैं खुद अपनी मर्जी से आत्महत्या कर रहा हूं।’

न किसी से मदद चाहते थे, न परेशानी बताते थे
पुलिस के अनुसार, बोराना 2011 में रिटायर हुए थे। वे इंदौर में डीएसपी और एएसपी रहे थे। परिजनों ने बताया न तो वे किसी से मदद चाहते थे न अपनी परेशानी बताते थे। 24 अगस्त को डीआईजी ऑफिस जाकर पुलिस के सीनियर सिटीजन का सिल्वर कार्ड भी बनाया था, ताकि उससे मेडिकल व अन्य सुविधाओं में डिस्काउंट मिल सके।

बिना बताए आश्रम में रहने चले जाते थे
लसूड़िया टीआई संतोष दूधी ने बताया कि 2011 में भी भोपाल पोस्टिंग के दौरान सर्वाइकल पेन के कारण बोराना ने पीएचक्यू की मेस में फांसी लगाकर आत्महत्या की कोशिश की थी। गर्दन और सर्वाइकल पेन से परेशान होकर वे डिप्रेशन में रहने लगे थे। घर वालों को बताए बिना बनारस चले गए और कई महीने वहां के आश्रमों में रहे थे। उन्होंने भोपाल में जमीन खरीदी थी, जिसका नामांतरण वे नहीं करा पा रहे थे। इसे लेकर भी तनाव में रहते थे।
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