भोपाल। व्यापमं घोटाला फिर जिंदा हो उठा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस बार स्पेशल कोर्ट में परिवाद पेश किया है। बीते रोज सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल उनकी पैरवी करने भोपाल आए। इस अवसर पर भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी व्यापमं घोटाले को हवा दी। दरअसल, वो चाहतीं हैं कि व्यापमं से जुड़े हर सवाल का जवाब मिले जो एसआईटी और सीबीआई ने अब तक नहीं दिए हैं।
उमा भारती ने कहा मुझे जानकारी मिली है कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले की एक नए तरीके से जांच करवाने का प्रयास कर रहे हैं। मैं स्वयं यह जानने के लिए बेचैन हूं कि मार्च 2014 से मेरा नाम इसके साथ कैसे जुड़ गया। जो भी इस असलियत को सामने लाएगा, वो मुझे एक बहुत बड़ी राहत देगा। मुझे बहुत खुशी होगी कि व्यापमं की जड़ें कहां तक थीं, यह रहस्य खुल जाए। क्योंकि 6 दिसंबर 2013 को मैंने ही तो सबसे पहली बार इस घोटाले को घिनौना बताते हुए सीबीआई जांच का मध्यप्रदेश सरकार को सुझाव दिया था।
मध्य प्रदेश की एसटीएफ एवं सीबीआई इस जांच के साथ बाद में जुड़े हैं। लेकिन, इसकी प्रारंभिक जांच तो मध्यप्रदेश के इंदौर की क्राइम ब्रांच ने की है। ऐसा अतीत में भी हो चुका है। सेंट किट्स मामले में कांग्रेस बाद में शर्मिंदा हुई थी। कांग्रेस ने बोफोर्स की बदनामी का बदला लेने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के पुत्र अजेय सिंह को फर्जी और शरारती तरीके से सेंट किट्स के फर्जी घोटाले से जोड़ दिया था। बाद में वस्तुस्थिति साफ हो गई। बेकसूर अजेय सिंह को राहत मिली।
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