ग्वालियर। एससी-एसटी एक्ट को लेकर जिला कांग्रेस दो धड़ों में बंटती दिख रही है। एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष और प्रोजेक्ट शक्ति के ग्वालियर चंबल के संयोजक अमित दुबे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अपनी लाज बचाने के लिए कांग्रेस प्रवक्ता धर्मेंद्र शर्मा ने कहा कि अमित ने इस्तीफा व्हाट्सएप्प पर भेजा है। यह सुनने में आया जरूर है पर अभी तक जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा को नहीं मिला है। इधर अमित शर्मा ने जो इस्तीफा शेयर किया है उसमें पावती दर्ज है। बता दें कि इससे पहले भाजपा में भी कई इस्तीफे हो चुके हैं।
क्यों हो रहा है विरोध
कांग्रेस ने 1989 में एट्रोसिटी एक्ट लागू किया। अनाक्षित जातियों की ओर से इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। वर्षों लम्बी प्रक्रिया के दौरान तथ्यों और प्रमाणों के साथ सुप्रीम कोर्ट में यह साबित किया गया कि भारत में एट्रोसिटी एक्ट का सर्वाधिक दुरुपयोग किया जा रहा है। याचिका में एट्रोसिटी एक्ट को समाप्त करने का निवेदन था। सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट तो समाप्त नहीं किया लेकिन शिकायत मिलते ही एफआईआर और गिरफ्तारी की बाध्यता को खत्म कर दिया। निर्देशित किया कि शिकायत की जांच की जाए फिर एफआईआर और गिरफ्तारी हो।
जातिवाद की राजनीति करने वाले विभिन्न दलों, सांसदों एवं कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा। नियमानुसार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की जानी चाहिए थी। अपील हुई भी लेकिन वोटबैंक को साधने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग किया और एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन विधेयक पेश कर दिया। संसद में इसे सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया। अब अनारक्षित जातियों के लोग सवाल कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस तरह निष्प्रभावी क्यों किया गया। वो एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन का समर्थन करने वाले सांसदों और पार्टियों का विरोध कर रहे हैंं।
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com