व्यापमं घोटाला: अब दिग्विजय, कमलनाथ और सिंधिया के खिलाफ परिवाद पेश | MP NEWS

भोपाल। व्यापमं घोटाले में इस बार भाजपा ने जवाबी हमला किया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज सिंह के खिलाफ भोपाल की स्पेशल कोर्ट में परिवाद दायर किया था। अब भाजपा की ओर से एडवोकेट संतोष शर्मा ने कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के खिलाफ परिवाद पेश कर दिया है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस के उपरोक्त नेता कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं एवं दिग्विजय सिंह ने जो दस्तावेज पेश किए हैं वो झूठे हैं। बता दें कि दिग्विजय सिंह ने कोर्ट में 27 हजार दस्तावेज, एक एक्सल शीट और एक पैनड्राइव में पेश की है। सीबीआई ने अपनी जांच में इन नेताओं को दोषी नहीं पाया था परंतु दिग्विजय सिंह का दावा है कि सीबीआई ने शिवराज सिंह को बचाने की कोशिश की है। 

ये है दिग्विजय सिंह का बयान
व्यापम घोटाला इस देश का सबसे बड़ा घोटाला है। इसमें अभी तक 2000 से अधिक लोगों काे अपराधी बनाया गया और उन्हें गिरफ्तार किया गया। इसमें मध्य प्रदेश शासन के मंत्री, अधिकारीगण, दलाल, स्टूडेंट और परिवारजनों ने जिन्होंने अपने बच्चों को मेडिकल कॉलेज में योग्यता ना होने पर भी पैसे की दम पर प्रवेश दिलाने का प्रयास किया था। उनके साथ सरकारी नियुक्तियों में भी सिफारिश की गई।

व्यापमं का गठन केवल मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश परीक्षा कराने लिए हुआ था। वर्ष 2007 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कानून में परिवर्तन करते हुए शासकीय नौकरी में भर्तियों के लिए व्यापमं को अधिकृत किया गया। व्यापमं द्वारा टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग करते हुए कॉलेजों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार किया गया। मामला समाचार पत्र में आने पर इसकी जानकारी ली। जो चार्जशीट एसटीएफ ने वर्ष 2014 में फाइल की थी, उसमें उमा भारती, मुख्यमंत्री तथा अन्य नाम उल्लेखित थे।

मैंने महसूस किया कि मध्यप्रदेश पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं कर पा रही है तो मैंने हाईकोर्ट में अर्जी पेश की और 5 नवंबर 2014 को एसआईटी का गठन हुआ। जिस एक्सल सीट के आधार पर संपूर्ण प्रकरण की चार्जशीट दी गई है उसी फाइल की ओरिजिनल मुझे दिखाई गई थी।

हार्ड डिस्क की जब्ती इंदौर पुलिस ने बनाई थी, जो नितिन महिंद्रा के कंप्यूटर से ली गई थी। इसमें जब्ती का समय 18 जुलाई 2013 को शाम 4:30 बजे बताया गया है। उसी समय इंदौर के पुलिस अधिकारी दिलीप सोनी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (आईजी) विपिन माहेश्वरी को हार्ड डिस्क सौंपी गई थी।

मुझे जानकारी दी गई कि 18 जुलाई 2013 को लगभग शाम के 4 बजे के बाद इंदौर में प्रशांत पांडे के पास पुलिसकर्मी आया और उसने डाटा केबल मांगी। पांडे से पूर्व में इनकम टैक्स अथॉरिटी के कई प्रकरणों में पुराना डाटा रिकवर करने के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट के रूप में सेवाएं ली जा रही थीं। इसलिए उसके लैपटॉप में रिकवरी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल था। जो एक्सल शीट 18 जुलाई 2013 को डाटा केबल के माध्यम से पांडे के लैपटॉप में आई थी वह ओरिजिनल थी। इसमें सीएम शब्द 48 स्थानों पर लिखा हुआ था और उसी में मिनिस्टर 1, मिनिस्टर 2, मिनिस्टर 3 भी लिखा हुआ था। 

जब मैं एसआईटी के पास अनेक बार गया तो वहां मुझे ऐसा एहसास हुआ कि एसआईटी अपने आप को असहाय महसूस कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई 2015 को व्यापमं से संबंधित सभी प्रकरणों को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। इसके पश्चात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉ. आनंद राय एवं एक अन्य साक्षी के ऊपर दबाव डालने का प्रयास किया था। यह बात साबित होती है कि वे जांच प्रभावित करना चाहते हैं।

साफ जाहिर है कि इंदौर की पुलिस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बचाने का पूरा षड्यंत्र किया है और साथ में एक्सल शीट में छेड़छाड़ की है। सीबीआई ने ना केवल प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने का प्रयास किया है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष झूठा शपथ पत्र भी दिया। सिंह ने कहा कि क्योंकि वे इंदौर पुलिस, एसटीएफ, सीबीआई पर भरोसा नहीं कर सकते इसलिए उन्होंने न्यायालय में परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है और इसके अलावा उनके पास और कोई विकल्प शेष नहीं रह गया है।

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