श्रीमद् डांगौरा/भोपाल। 25 सितम्बर को राजधानी भोपाल में आयोजित किए जा रहे कार्यकर्ता महाकुंभ को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री रामलाल ने मंगलवार को पार्टी कार्यालय में प्रदेश पदाधिकारियों, मोर्चा-विभाग प्रमुखों आदि से विचार-विमर्श किया। इस दौरान उन्होने एक रहस्यमय बयान दिया। उन्होंने कुछ समूहों और संगठनों राष्ट्रविरोधी कहा, लेकिन भाजपा के मीडिया विभाग से जारी उनके आधिकारिक बयान में स्पष्ट नहीं किया गया कि उन्होंने राष्ट्रविरोधी किसको कहा।
भाजपा की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि प्रदेश महामंत्री बंशीलाल गुर्जर ने बैठक से लौटकर बताया कि श्री रामलालजी ने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से राष्ट्रविरोधी एजेंसियों के प्रपंचों से सतर्क रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जब इन एजेंसियों पर नकेल कसी, तो ये बौखला गई हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों को आगे रखते हुए कई तरह के षड्यंत्र रचकर राष्ट्र को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं। बैठक में केंद्रीय मंत्री एवं चुनाव अभियान समिति के प्रमुख श्री नरेंद्र सिंह जी, प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह जी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री दुष्यंत गौतम, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अनिल जैन, राज्यसभा में मुख्य सचेतक श्री नारायण भाई पंचारिया, दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय एवं प्रदेश संगठन महामंत्री श्री सुहास भगत विशेष रूप से उपस्थित थे।
बैठक में इस बयान का तात्पर्य क्या है
राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री रामलाल जी ने कहा कि चाहे आतंकवादी हों, नक्सलवादी हों, शहरी माओवादी हों अथवा वे संस्थाएं जो भारी भरकम फंड प्राप्त करके राष्ट्रविरोधी काम कर रही हैं, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उनकी नकेल कसे जाने से बौखलाए हुए हैं। ये लोग भारत को कमजोर करने के लिए भाजपा की सरकार बनने से रोकना चाहते हैं और उसके लिए कई तरह के षड्यंत्र कर रहे हैं। रामलाल के बयान में आतंकवादी, नक्सलवादी और माओवादी तो समझ में आते हैं परंतु भारी भरकम फंड प्राप्त करने वाली संस्थाओं के नाम नहीं बताए गए। समझ यह नहीं आ रहा कि कार्यकर्ता महाकुंभ की तैयारियों की बैठक में इस बयान का तात्पर्य ही क्या था। रामलाल किसकी तरफ इशारा कर रहे हैं और इशारा कर भी क्यों रहे हैं। वो इन भारी भरकम फंड प्राप्त करने वाली संस्थाओं को डराकर क्या कुछ हासिल करना चाहते हैं। राष्ट्रविरोधी संस्थाओं के नाम छुपाना भी राष्ट्रविरोध ही हुआ ना।
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