भोपाल। सीएम शिवराज सिंह के 'माई का लाल' से जन्मा संगठन सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (सपाक्स) कल सीएम हाउस की परिक्रमा करता नजर आया। सीएम शिवराज सिंह ने उन्हे मध्यप्रदेश में उपजे एससी/एसटी एक्ट विरोधी आंदोलन को ठंडा करने के लिए बुलाया था। सपाक्स के पदाधिकारियों ने जब प्रमोशन में आरक्षण की बात की तो शिवराज सिंह ने कहा कि 'पहले कोर्ट का फैसला आने दें, बाद में देखेंगे।' बता दें कि इस मामले में सीएम शिवराज सिंह की विशेष रुचि के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई है।
सपाक्स की ओर से प्रतिनिधिमंडल में संस्था के संस्थापक सदस्य अजय जैन, पूर्व अध्यक्ष डॉ. आनंद सिंह, अध्यक्ष केएस तोमर, उपाध्यक्ष रक्षा दुबे, डीएस भदौरिया, सचिव राजीव खरे, जेएस गुर्जर और राजेश तिवारी मुख्यमंत्री निवास गए थे। सीएम शिवराज सिंह ने उन्हे केवल 15 मिनट का वक्त दिया। सीएम ने सपाक्स से प्रदेश में समरसता बनाने में सहयोग की मांग की। वो एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ चल रहे आंदोलन की बात कर रहे थे।
सपाक्स के पदाधिकारियों ने अवसर मिलते ही उनके सामने एक साथ कई सारे मुद्दे रख दिए। सपाक्स ने बैकलॉग भर्ती, संस्था की मान्यता, सहायक प्राध्यापक भर्ती में हुई गड़बड़ी के मामलों में भी अपनी मांग रखी। पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट का फैसला आने दें, फिर देखेंगे। जबकि एट्रोसिटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी से पहले जांच की मांग पर सीएम बोले कि मामले में शासन उचित कार्यवाही कर रहा है।
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