ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ में केन्द्र शासन द्वारा पेश किए गए जवाब ने सीएम शिवराज सिंह के माथे पर लकीरें खींच दीं हैं। अब उन लाखों घरों में लगी हुईं टाइल्स उखाड़ी जाएंगी जो पीएम आवास योजना के तहत प्रदान किए गए हैं। इन टाइल्स पर सीएम शिवराज सिंह और पीएम नरेंद्र मोदी के फोटो लगे हैं। मोदी सरकार ने पेश किए जवाब में माना है कि यह गलत है। सरकार का लोगो लगाया जा सकता था, किसी का फोटो नहीं। अब कोर्ट ने राज्य को जवाब पेश करने के लिए बुलाया है।
टाइल्स पर फोटो के मामले में संजय पुरोहित ने जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि जनता के पैसे से गरीब नागरिकों के लिए आवासों का निर्माण किया जा रहा है, योजना का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना है, लेकिन मध्य प्रदेश शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने 4 अप्रैल 2018 को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि जो भी आवास बनाए जा रहे हैं उसके मुख्य द्वार पर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की फोटो युक्त टाइल्स लगाई जाए। एक-एक टाइल्स रसोई घर के प्लेटफार्म पर भी लगाई जाए। जनता के पैसे से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री अपना चेहरा चमका रहे हैं। किसी के घर पर पीएम-सीएम का फोटो लगाना उसके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।
2018 के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है और 2019 में लोकसभा का चुनाव। फोटो लगाकर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री अपना प्रचार कर रहे हैं। फोटोयुक्त टाइल्स लगाने पर रोक लगाई जाए। वहीं केन्द्र ने जवाब पेश करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास का मोनो टाइल्स पर उपयोग किया जा सकता है, लेकिन किसी का फोटो नहीं।
अब चुनाव आयोग दे सकता है आदेश
हाईकोर्ट में केंद्र के जवाब पेश होने के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है। इसके आधार पर विपक्षी दल आपत्ति उठा सकते हैं और चुनाव आयोग आचार संहिता लागू होने से पहले इन्हे हटाने के आदेश दे सकता है। यदि ऐसा हुआ तो गांव गांव में शिवराज सरकार की काफी बदनामी होगी। कहा जाएगा कि सरकार गिर रही है, इसलिए टाइल्स हटाए जा रहे हैं।
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