भोपाल। गुटबाजी मध्यप्रदेश कांग्रेस के डीएनए में समा चुकी है। ऐसा कोई आॅपरेशन नहीं जो कांग्रेस में से गुटबाजी को बाहर निकाल सके। एकता के दावों के साथ शुरू हुआ कांग्रेस का चुनाव अभियान अब साफ-साफ बिखरा हुआ नजर आने लगा है। यदि मध्यप्रदेश में 2 सीएम बनाए जा सकते तो पक्का है कि कांग्रेस की ही सरकार बनती परंतु ऐसा नहीं है और इसीलिए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच दंगल जारी है। एक पीसीसी (प्रदेश कांग्रेस कमेटी) चीफ है तो दूसरा ईसीसी (इलेक्शन कैंपेन कमेटी) चीफ। दोनों की अपनी-अपनी कांग्रेस और अपना-अपना प्रचार। ये दोनों पहलवान अब एक अखाड़े में नजर आने वाले हैं। नाम है देपालपुर।
पट्ठों के लिए अखाड़े में पहलवान
इंदौर से पैंतालीस किमी दूर ग्रामीण विधानसभा सीट है देपालपुर। ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां अपना जलवा दिखा चुके हैं। 230 से ज्यादा गांव, डेढ़ सौ किमी लंबी और ढाई लाख वोटर्स की इस विधानसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पट्ठे सत्यनारायण पटेल के समर्थन में जनसभा करने आए थे। अब कमलनाथ भी इसी विधानसभा में आ रहे हैं। वो अपने पट्ठे विशाल पटेल के समर्थन में जनसभा करेंगे। जनता कुछ नहीं समझ पाएगी क्योंकि दोनों ही शिवराज और मोदी पर हमला कर रहे हैं परंतु असली कांग्रेस कार्यकर्ता परेशान है। सिंधिया के मंच पर कमलनाथ समर्थन दिखाई नहीं देते और कमलनाथ के कार्यक्रम वाले दिन सिंधिया समर्थक इलाके से ही बाहर चले जाते हैं। कहीं यहां से सिंधिया और कमलनाथ के बीच खुली जंग की शुरूआत ना हो जाए।
राजा ने बना ली नई राह, जेब में पूरी लिस्ट रखी है
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह एकता यात्रा लेकर निकले थे। यात्रा में से एकता कहीं लापता हो गई अब संगत में पंगत चल रही है। दिग्विजय सिंह प्रदेश के 35 जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिल चुके हैं। जहां कमलनाथ और सिंधिया शोर कर रहे हैं, वहीं दिग्विजय सिंह कान में सुनते हैं, और कान में ही कह रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि उनके पास 230 सीटों के लिए लिस्ट तैयार हो गई है। अब तो यात्रा के बहाने परीक्षण और संशोधन किया जा रहा है।
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