भोपाल। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा कई तरह के विवादो में घिर गई है। अब एक नया मामला सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता डीपी सिंह ने दावा किया है कि नियमानुसार आरक्षित वर्ग के 50 प्रतिशत से ज्यादा उम्मीदवारों की भर्ती नहीं होनी चाहिए थी परंतु पीएसससी ने 60 प्रतिशत से ज्यादा उम्मीदवारों को भर्ती दे दी।
आरटीआई कार्यकर्ता डीपी सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि सहायक प्राध्यापक भर्ती प्रक्रिया में कई विसंगतियां सामने आई हैं। आयोग द्वारा जारी चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट में ये बात सामने आई है कि एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार 60 फीसदी से ज्यादा हैं। बता दें कि इस मामले में जारी किए गए विज्ञापन और चयन प्रक्रिया में होने वाली विसंगतियों को लेकर याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने तब आयोग से 752 बैकलॉग पदों के विज्ञापन की पुन: जांच करने के लिए कहा था लेकिन आयोग द्वारा ऐसा नहीं किया गया। एमपीपीएससी ने विज्ञापन के जरिए एक ही चयन लिस्ट 3,422 पदों के लिए जारी कर दी। हालांकि तीन श्रेणियों में इन पदों को प्रकाशित किया गया। जिसमें 752 बैकलॉग पद, 1,600 नव निर्मित पद और सेवानिवृत्ति के कारण रिक्त हुए 1000 पद।
इसके अतिरिक्त राज्य पात्रता परीक्षा (सेट) की मार्कशीट का मामला भी हाईकोर्ट में पेंडिंग है। वहीं, एमपीपीएससी भोज मुक्त विश्वविधालय से 2014 से पहली की गई पीएचडी भी स्वीकार कर रहा है। जो सीधेतौर यूजीसी के नियमों का उल्लंघन है। यूजीसी ने नियामानुसार ओपन डिस्टेंस मोड से की गई पीएचडी को स्वीकार नहीं किया जाएगा। जिन्होंने पीएचडी रेग्युलर मोड पर की है वही उम्मीदवार मान्य होंगे। यूजीसी ने 2014 के बाद नियमों में बदलाव कर ओपन मोड से पीएचडी को स्वीकार करना शुरू कर दिया है लेकिन वह भी सिर्फ कुछ शर्तों के साथ। मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com