भोपाल। ... और इसी के साथ मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने स्कूल के बस्तों पर अपना प्रचार करवाया था। इन्होंने छातों तक पर करवाया। बाकी सारे उपकरण तो याद ही होंगे आपको लेकिन शिवराज सिंह सरकार ने तो दवाईयों तक पर भाजपा का प्रचार शुरू कर दिया है। ये जनता की तिजोरी से पैसा निकाल कर खरीदी गईं हैं जो गरीबों को बांटी जातीं हैं।
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधी परियोजना के तहत देश भर में औषधि वितरण केंद्र खोले गए हैं। राजधानी भोपाल में भी इन केंद्रों को खोला गया है। इन केंद्रों पर बांटी जा रही दवाईयों में योजना के नाम भारतीय जनऔषधी परियोजना के शॉर्ट फॉर्म को भगवा रंग में 'भाजप' लिखा गया है। पहली नजर में यह 'भाजपा' जैसा लगता है। बड़ी ही चतुराई के साथ प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना में से 'प्रधानमंत्री' शब्द को छोटा कर दिया गया ताकि उसके 'प्र' को भगवा ना करना पड़े। 'जन औषधि' को ऐसे लिखा गया जैसे यह एक शब्द 'जनऔषधि' हो।
किसी क्रिमिनल माइंड की प्लानिंग है
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार इस तरह की हरकतें अक्सर नकली नोट छापने वाले या नकली मार्कशीट बनाने वाले करते हैं। जालसाज और किसी भी ब्रांड का नकली सामान बनाने वाले भी अक्सर ऐसी ही हरकतें करते हैं। सरकारी योजनाओं के नाम पर ठगी करने वाले भी ऐसे ही शब्दों और मात्राओं का हेरफेर करते हैं। जिससे नजर का धोखा पैदा हो और लोगों को भ्रमित किया जा सके। संभव है कि इसका आइडिया देने वाला आईपीसी की धारा 420 का आरोप ना हो परंतु यह पक्का है कि वो एक शातिर अपराधी जैसे दिमाग का स्वामी है।
उत्तरप्रदेश में थीं ऐसी परंपरा
इस तरह की हरकतें उत्तरप्रदेश में अक्सर की जातीं थीं। मायावती सरकार के समय हर पार्क में हाथी खड़ा कर दिया गया था तो अखिलेश यादव सरकार के समय पता नहीं कहां कहां सपा और अखिलेश यादव नजर आते थे। हालांकि दोनों मुख्यमंत्रियों की कोशिशें बिफल रहीं और जनता इस तरह की हरकतों से प्रभावित नहीं हुई। इस बार मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार ने इस तरह की हरकतें कीं हैं। प्रधानमंत्री आवास के मामले में तो हाईकोर्ट इसे गलत बता ही चुका है।
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