भोपाल। शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा में 'विकास का प्रतीक' बताकर लोकर्पित किया गया एक पुल 3 माह भी नहीं टिक पाया। पहली बारिश में ही केक की तरह कटकर बह गया। भोपाल समाचार ने इस मामले को सबसे पहले और प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। खबर का असर हुआ। यह देश भर में वायरल हुई और सरकार को शर्मिंदा होना पड़ा। अंतत: पीडब्ल्यूडी विभाग के उन 4 अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया जिन्होंने पुल की ओके रिपोर्ट दी थी।
लोक निर्माण विभाग से जारी आदेश के मुताबिक निलंबित अफसरों में बी के माथुर तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, एस एल शर्मा तत्कालीन उपयंत्री, के एस भदौरिया उपयंत्री, रविंद्र शर्मा उपयंत्री को निलंबित किया गया है। आदेश में बताया गया है कि पुल का निर्माण मार्च 2018 में ही पूरा किया गया था। स्पष्ट है कि पुल के कार्य को सर्वेक्षण एवं निर्माण कार्य में गंभीर अनियमितता बरती गई। जिसके कारण शासन को वित्तीय हानि के साथ-साथ विभाग की छवि भी धूमिल हुई है।
मामला कमीशनखोरी का है, एफआईआर होनी चाहिए
दरअसल, यह मामला कमीशनखोरी का है। 7 करोड़ की लागत से बने इस पुल में कई स्तर पर कमीशनखोरी हुई है। सूत्र बताते हैं कि ठेकेदार के पास मात्र 4 करोड़ रुपए बचे थे इस पुल को बनाने के लिए। इसमें से उसने अपना मुनाफा निकाला। स्वभाविक है, पुल घटिया ही बनना था। किसी भी अधिकारी/कर्मचारी को सस्पेंड करना, सजा नहीं होती। यह व्यवस्था है जबकि मामला भ्रष्टाचार का है। इस मामले में एफआईआर होनी चाहिए।
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