नई दिल्ली। कोई भी ऐसी खबर, जिसमें राजनेता अपने रिकॉर्ड और उपलब्धियों के आधार पर अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहा हो, उसे पेड न्यूज माना जाएगा। ये बात केंद्रीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कही है। आयोग शीर्ष अदालत में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक निर्णय के खिलाफ पहुंचा है, जिसमें मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज के आरोपों में तीन साल के लिए अयोग्य ठहराने के आयोग के फैसले को हाईकोर्ट की एक सदस्यीय पीठ ने 18 मई को खारिज कर दिया था।
आयोग ने दावा किया कि हाईकोर्ट पेड न्यूज के खिलाफ कार्रवाई करने की उसकी भूमिका को प्रतिबंधित करने की गलती कर रहा है। आयोग ने इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर की याचिका में कहा है कि बहुत ज्यादा प्रसार क्षेत्र वाले समाचार पत्रों में प्रत्याशियों के नाम से जारी बयानों में उनके रिकॉर्ड और उपलब्धियों की प्रशंसा करने के साथ मतदाताओं से सीधे वोट देने की अपील भी की जाती है, ऐसी खबरों को चुनाव आयोग सामान्य खबर नहीं बल्कि पेड न्यूज मानता है। याचिका में आयोग ने शीर्ष अदालत से इस मुद्दे का परीक्षण करने की अपील की है।
ऐसी छूट दी तो ‘पहुंच’ वाले उठा लेंगे फायदा
आयोग ने अपनी याचिका में कहा है कि यदि ‘फ्री स्पीच’ की आड़ में इस तरह के जानबूझकर प्रचार वाले संबोधनों को चुनाव के समय छूट दी गई तो ‘पहुंच’ वाले उम्मीदवार इसका लाभ उठा लेगे। ये वे उम्मीदवार होंगे, मजबूत नेटवर्क रखते हैं और मीडिया में जिनके खास संबंध हैं। ऐसे उम्मीदवार समाज में अपने प्रभाव का लाभ उठाकर ऐसी ‘खामोश’ सेवाओं के जरिए विपक्षी के खिलाफ एक असामान्य बढ़त बना लेंगे।
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