भोपाल। भारत में महिला जनप्रतिनिधियों की लाचारगी और राजनीति में महिला जनप्रतिनिधियों की प्रताड़ना का सबसे बड़ा मामला मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले से आ रहा है। यहां पीएम नरेंद्र मोदी ने सरपंच की जगह सरपंच पति से बात की, जबकि वहीं पास में महिला सरपंच घूंघट डाले बैठी रही। बता दें कि मध्यप्रदेश में सरपंच पतियों का दखल सिस्टम के भीतर तक है। वो आधिकारिक मीटिंग में अपनी सरपंच पत्नी की कुर्सी पर बैठते हैं। अब तो पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इसे स्वीकार कर लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान की शुरुवात की। इस दौरान वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश भर के 18 स्थानों पर लोगों से जुड़े। इनमें राजगढ़ जिले के पिपल्या कुल्मी गांव को भी चुना गया। यहां गोबर गैस प्लांट के फायदे बताने के लिए सरपंच कौशल्या बाई तेजरा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात होनी थी परंतु सरपंच पति दिनेशचंद्र तेजरा सरपंच की कुर्सी पर बैठा। चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकारियों ने कोई आपत्ति नहीं जताई और पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सरपंच पति से ही बात की। महिला सरपंच उनके पीछे घूंघट डाले कुर्सी पर बैठी नजर आई।
पत्नियों की जगह मीटिंग आते हैं, हस्ताक्षर भी कर देते हैं
मध्यप्रदेश में महिला आरक्षण के हालात यह हैं कि चुनाव जीत जाने के बाद भी वो एक घरेलू महिला ही रहतीं हैं। सीट आरक्षित होने के कारण नेता प्रति अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाकर जीत जाते हैं और फिर खुद सत्ता चलाते हैं। प्रशासनिक मीटिंगों में भी पति ही जाते हैं और कई मामले तो ऐसे आए हैं जहां महिला जनप्रतिनिधि की जगह आधिकारिक दस्तावेजों पर पति ही हसताक्षर करते हैं। पिछले दिनों शिवपुरी की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती लोधी की कहानी सामने आई थी। इन दिनों वो बकरी चरा रही है। इलाके के दिग्गज नेताओं ने उसे चुनाव लड़ाया, जिताया और फिर बंधुआ सा बना लिया था।
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