कुंडली के छठवे भाव, एकादश भाव और द्वादश भाव से कर्जों की स्थिति देखी जाती है। इन भावों के स्वामियों के कमजोर होने पर या इन भावों में शुभ ग्रहों के होने पर कर्ज की स्थिति बन जाती है। व्यय भाव के मजबूत होने पर व्यक्ति सुख सुविधा के लिए कर्ज लेता है। आयु भाव के प्रभावशाली होने पर स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कर्ज लेता है। कुंडली में अग्नि तत्व की मात्रा मजबूत होने पर भी कर्ज की संभावना बढ़ जाती है। मंगल का कमजोर होना भी कर्जों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होता है।
कब कर्ज चुक जाते हैं और कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाता है ?
जब शुभ बृहस्पति या शुक्र का प्रभाव हो तो आसानी से कर्ज चुक जाता है। जब बुध का प्रभाव हो तो काफी प्रयास करने पर कर्ज चुकता है। मंगल के ख़राब होने पर किसी न किसी रूप में कर्ज बना रहता है। शनि का प्रभाव होने पर कर्ज बहुत लम्बा होता है। राहु का प्रभाव होने से व्यक्ति कर्ज चुकाना ही नहीं चाहता।
कैसे करें गणपति की उपासना ताकि कर्ज से मुक्ति मिल जाए-
गणेश जी की सिंदूरी प्रतिमा स्थापित करें। उनके समक्ष घी का चौमुखी दीपक जलाएं। उन्हें मोदक और सिन्दूर अर्पित करें। इसके बाद कम से कम 108 बार "ॐ गं" का जाप करें। ये प्रयोग हर बुधवार को करें।
अगर बिना कारण के कर्ज लेना पड़ता हो और कुछ न कुछ कर्ज रहता ही हो तो ये उपाय करें-
भगवान गणेश की सिन्दूर वर्ण की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें दूब की माला पहनाएं। इसके बाद उन्हें सिन्दूर अर्पित करें। "वक्रतुण्डाय हुं" का जाप करें। एक सप्ताह के बाद माला बदल दें। ये प्रयोग हर बुधवार के दिन दोपहर को करें।