पितरों का संबंध हमारे जन्म, संस्कार और भावनाओं से होता है। शनि का संबंध हमारे पूर्व जन्म के कर्मों और हमारे पितरों की स्थिति से होता है। राहु का संबंध हमारे दायित्व और ऋणों से होता है। केतु का संबंध हमारे पितरों और उनके मुक्ति मोक्ष से होता है।
शनि, राहु और केतु हमारे और हमारे पितरों के बारे में क्या बताते हैं?
शनि का अच्छा होना ये बताता है कि हमारे पूर्व जन्म के कर्म उत्तम रहे हैं। राहु और केतु का अच्छा होना बताता है कि हमारे पितृ संतुष्ट हैं और उनकी कृपा हमारे ऊपर बनी हुई है। अगर शनि या सूर्य का संबंध राहु से हो तो पितरों का दायित्व बाकी रहता है। उनकी तृप्ति या मुक्ति नहीं हो पाती इस दशा को पितृ दोष कहा जाता है। बृहस्पति अच्छा होने पर पितृ संबंध हर समस्या से मुक्ति मिल जाती है।
पितरों और शनि की शांति के लिये यह उपाय करें ?
पितृपक्ष में पीपल के वृक्ष में तिल मिला हुआ जल अर्पित करें। निर्धनों को भोजन कराएं। भोजन में उरद की दाल की बनी हुई चीजें जरूर होनी चाहिए। जितना संभव हो पेड़ पौधे लगाएं। नित्य दोपहर "ॐ सर्व पितृ प्रसन्नो भव ॐ" का 107 बार जप करें. पूरे माह में सात्विक रहें।
राहु-केतु के निवारण के लिए करें यह उपाय
पितृ पक्ष में किसी भी दिन दोपहर के समय ये प्रयोग करें। सफ़ेद वस्त्र धारण करें, हाथ में कच्चा सूत, सफ़ेद मिठाई ले लें और सफ़ेद वस्त्र धारण करें। अब मिठाई हाथ में लेकर कच्चे सूत को पीपल की परिक्रमा करते हुए सात बार लपेटें। सूत लपेटते हुए कहते जाएं कि आपके ऊपर पितरों की कृपा हो और आपके राहु केतु शांत हों।परिक्रमा के बाद मिठाई को पीपल की जड़ में डाल दें और वहां जल अर्पित करें। आपके राहु केतु शांत होंगे।