चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को देश की अग्रणी बैंक एसबीआई को बगैर पर्याप्त सिक्योरिटी के कई फर्मों को करो़ड़ों रुपये का कर्ज देने के मामले में कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने साफ कहा कि यह देश की जनता का पैसा है, दोषी बैंक अफसरों को बख्शा नहीं जाएगा। यह कठोर रूख कोर्ट ने कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड से 820 करोड़ के कर्ज वसूली के मामले की सुनवाई के दौरान अपनाया। एसबीआई ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कनिष्क गोल्ड की प्रॉपर्टी जब्ती की ईडी की कार्रवाई को रद्द करने का आग्रह किया है। जब एसबीआई की तनावग्रस्त संपत्ति प्रबंधन शाखा की याचिका जस्टिस आर. महादेवन के समक्ष सुनवाई के लिए आई तो उन्होंने बैंक के वकील के समक्ष कई सवाल खड़े किए।
घोटाले में लिप्त सभी की गिरफ्तारी का आदेश देंगे
जस्टिस महादेवन ने कहा, 'वह इस घोटाले में लिप्त सभी अधिकारियों व लोगों की गिरफ्तारी का आदेश देंगे। यह जनता का पैसा है। लोग सिक्योरिटी देने की पेशकश करने के बाद भी शिक्षा व कृषि कर्ज के लिए तरस रहे हैं। मामले में लिप्त बैंक अफसरों को बचाने की कोशिश मत कीजिए। सरफेसी एक्ट 2002 के तहत कोई भी बच नहीं सकता। हम ऐसा आदेश देंगे जो पूरे देश में मिसाल बनेगा।'
जज ने पूछे ये सवाल
क्या बैंक अफसरों ने कर्ज मंजूर करने से पहले दस्तावेजों का सत्यापन किया था? मंजूर कर्ज की कुल राशि कितनी थी? बतौर सिक्योरिटी दी गई संपत्ति का मूल्य क्या था?
ईडी बताए कौन से अफसर लिप्त
मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कोर्ट ने कहा कि वह घोटाले में लिप्त अफसरों व उनकी भूमिका आदि की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर तय की है।
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