एक अक्टूबर को पूरी दुनिया में ग्रैंडपैरेंट्स डे मनाया जाता है। यानि दादा-दादी, नानी-नानी का दिन। दादा-दादी बच्चों की लाइब्रेरी हैं, तो कभी उनका गेम सेंटर। ये अच्छे टीचर हैं तो कभी उनका सपोर्ट करने वाले व्यक्ति भी। वे हमारे घरों में सबसे अनुभवी होते हैं। इसलिए जिन्दगी जीने के जितने तरीके वो आपको बताते हैं कोई नहीं बता सकता। आज हमारे दादा-दादी को कुछ नहीं चाहिए, बस अपने बच्चों का थोड़ा समय चाहते हैं वो। वे भी हमारी पीढ़ी के साथ चलने की कोशिश करना चाहते हैं। उन्हें आदर-सम्मान और अपने बच्चों के साथ वक्त बिता पाएं, इसी उद्देश्य के साथ दुनियाभर में गै्रैंड पैरेंट्स डे मनाया जाता है।
ये है ग्रैंड पैरेंट्स डे की कहानी
अमेरिका में मैरियन मैकुडे नाम की एक दादी रहीं थी, जिनके 43 ग्रैंडचिल्ड्रन थे। वे चाहती थीं कि ग्रैंड पैरेंट़्स और ग्रैंड चिल्ड्रन की बीच संबंध अच्छे हों, वे साथ में समय बिताएं, इसके लिए उन्होंने 1970 में एक अभियान छेड़ा। वे इस दिन को नेशनल हॉलीडे बनाना चाहती थीं, ताकि सभी बच्चे अपने दादा-दादी, नाना-नानी के साथ समय बिताएं और उनके बीच जनरेशन गैप खत्म हो। 9 साल तक उन्होंने ये अभिायान चलाया, जिसके अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट जिमी कार्टर ने 1979 को 1 अक्टूबर के दिन ग्रैंड पैरेंट्स डे घोषित किया। सबसे पहले एज यूके नाम की एक चैरिटी ने 1990 में ग्रैंड पैरेंट्स डे मनाया था।
इस होटल में वेटर नहीं 22 दादी-नानी बनाती हैं खाना
आज हर व्यक्ति को अपनी दादी-नानी के खाने की याद सताती है। उनके हाथों में जो खाने का स्वाद है वो किसी रेस्टोरेंट में कहां। उनके हाथों के खाने के इस स्वाद को बरकरार रखने के लिए इटली के एक रेस्टोरेंट ने दादी-नानियों को कुक की जगह रिप्लेस किया है। इस होटल में आने वाले कस्टमर्स भी इन दादियों के हाथों का बना खाना पसंद करते हैं।
इस स्टाफ में मौजूद कई दादी-नानी ऐसी हैं, जिनकी कहानी काफी प्रेरक हैं। किसी ने 8 साल की उम्र में तो किसी ने 14 साल की उम्र में खाना बनाना शुरू कर दिया था। तब से ये दादियां अपने हाथ के खाने का लाजवाब स्वाद लोगों को परोसती आ रही हैं लेकिन अब इन्हें होटल में ये काम करने का मौका मिला है, जिसके बाद वे काफी खुश हैं। ये दादियां बड़े ही प्यार से होटल में आए लोगों के लिए खाना तैयार करती हैं।
यहां दादी -नानी हर खाने में ताजे इंग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल करती हैं और हर खाने को पूरी विधि से तैयार करने में कम से कम पांच घंटे का समय लगता है। आपको जानकर हैरत होगी कि उनके हाथों का बना खाना खाने के लिए लोग महीनों पहले एडवांस बुकिंग करवाते हैं। होटल के इस ट्रेंड से न केवल बुजुर्गों को सम्मान मिला है, बल्कि उनकी पाक कला को आज के जमाने में बरकरार रखा है।
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com