नई दिल्ली। राफेल डील ने केवल भारत ही नहीं बल्कि फ्रांस की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है। राहुल गांधी के 'गली गली में शोर है, चोकीदार ही चोर है' के जवाब में भाजपा ने 'राहुल गांधी का पूरा खानदान चोर' हैशटेग चलाया लेकिन सरकार अपना बचाव नहीं कर पा रही है। इधर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार एंटन रोगट ने दावा किया है कि भारत और फ्रांस दोनों देशों की सरकारें डील में शामिल हैं और दोनों को सबकुछ पता था।
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया उससे दसॉल्ट कंपनी ने बात की। ओलांद का कहना है कि दसॉल्ट ने रिलांयस ग्रुप के अनिल अंबानी से संपर्क किया। फ्रांस के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। इसके बचाव में भारत और फ्रांस की सरकारों ने कई बयान जारी किए। कुछ आधिकारिक हैं तो कुछ राजनीतिक। लव्वोलुआब केवल इतना कि दसॉल्ट और रिलायंस डिफेंस की डील दोनों कंपनियों की डील है। इसमें सरकारों की कोई भूमिका नहीं है।
जबकि फांस्वा आलांद का इंटरव्यू करने वाले पत्रकार एंटन रोगट का कहना है कि भारत का यह कहना गलत है कि भारतीय और फ्रांस सरकार दसॉल्ट एविएशन और रिलायंस डिफेंस के बीच हुई डील में शामिल नहीं थीं। ओलांद ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत सरकार ने फ्रांसीसी अधिकारियों को रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया था।
एंटन रोगट ने बताया कि पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति जो दसॉल्ट एविएशन और रिलायंस डिफेंस के बीच राफेल डील पर हस्ताक्षर करने के लिए ऑफिस में मौजूद थे, उन्होंने साफ तौर पर बताया था कि भारत सरकार ने रिलायंस का नाम फ्रांसीसी अधिकारियों को प्रस्तावित किया है। फ्रांस्वा ओलांद ने इंटरव्यू में दावा किया कि मोदी सरकार ने रिलायंस डिफेंस को साझेदार बनाने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने हमें भारत सरकार के उद्देश्यों के बारे में कुछ नहीं बताया। हमें जानकारी नहीं कि ओलांद को इस बारे में कुछ पता था या नहीं। वहीं फ्रांसीसी अधिकारियों ने इसे इसलिए स्वीकार कर लिया क्योंकि राफेल डील फ्रांस के लिए महत्वपूर्ण थी।
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