NEW DELHI: केंद्रीय वित्त मंत्री ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों कटौती का ऐलान किया। साथ ही उन्होंने राज्यों से भी वैट में कटौती करते हुए कीमतों में कमी करने का सुझाव दिया, जिसे अब तक 11 बीजेपी शासित राज्यों ने स्वीकार करते हुए 2.5 रुपये की और कमी कर दी। इस तरह से 11 राज्यों में तेल की कीमतों में 5 रुपये की कमी आएगी। हालांकि केरल ने ऐसा करने से मना कर दिया है। केरल के वित्त मंत्री थामस इसाक ने कहा कि राज्य अभी ऐसी कटौती करने की स्थिति में नहीं है। हमने कुछ दिन पहले ही ऐसा किया था। तेल की कीमतों में कमी करने संबंधी जेटली के सुझाव पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि हमें जेटली जी से कोई पत्र नहीं प्राप्त हुआ है। हम पहले आदेश देखेंगे फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर फैसला करेंगे। हर राज्यों की अपनी-अपनी स्थिति होती है, इसलिए पहले पत्र आने दीजिए।
इन राज्यों ने घटाये दाम
इसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम और हरियाणा ने भी वैट में कटौती करते हुए तेल के दामों में राहत दी है। इस तरह से अब तक 11 राज्यों में तेल की कीमतों में 5 रुपये की कमी हुई है। इन बीजेपी शासित राज्यों में से महाराष्ट्र ने सिर्फ पेट्रोल पर ही 2.5 रुपये की राहत देने का फैसला लिया, जबकि झारखंड ने डीजल पर यही छूट देने का ऐलान किया। डीजल में फिलहाल के लिए राहत नहीं दिए जाने के फैसले पर महाराष्ट्र सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि डीजल की कीमतों में कमी लाने के लिए बात चल रही है और जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा।
पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार द्वारा प्रति लीटर 2.5 रुपए की कमी करने के लिए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi और केंद्रीय वित्त मंत्री @arunjaitley जी का धन्यवाद। मध्यप्रदेश सरकार ने भी 2.5 रुपए वैट कम किया है, जिससे उपभोक्ताओं को प्रति लीटर 5 रुपए की राहत मिलेगी।
इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री जेटली ने शेयर बाजार, पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर विस्तार से बात रखी। इस कटौती में रेवेन्यू विभाग को 1.50 रुपये और OMC को एक रुपये वहन करना होगा। आपको बता दें कि पिछले काफी समय से लगातार तेल के दामों में बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण आम जनता परेशान थी।
केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद आम आदमी को राहत मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दाम में इस कटौती से केंद्र सरकार के खजाने पर 10 हजार 500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। केन्द्र सरकार ने अंतरमंत्रालयी पहल करते हुए रेवेन्यू और पेट्रोलियम मंत्रालय से बातचीत हुई है। पिछले साल केन्द्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये की कटौती की थी। जेटली ने कहा कि सरकार तभी कोई छूट दे सकते हैं जब राजस्व की क्षमता बढ़ती है। रेवेन्यू विभाग के जरिए कंज्यूमर को रिलीफ देने का काम तीन हिस्सों में बांटकर किया जाएगा।
लिहाजा, जेटली ने बताया कि राज्यों से कहा जा रहा है कि केन्द्र की 2.50 रुपये की कटौती की तर्ज पर सभी राज्य भी 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती को प्रभावी करें। यह काम राज्यों के लिए आसान है। वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि राज्य सरकारों का एडवैलोरम टैक्स है। राज्यों का औसत 29 फीसदी है। इसलिए कच्चे तेल का दाम बढ़ने पर राज्यों को अधिक इजाफा होता है। वहीं केन्द्र की कमाई स्थिर रहती है।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि हमने तेल कंपनियों को 10 बिलियन डॉलर विदेशी ऑयल बॉन्ड के जरिए उठाने की अनुमति दी है। सरकार ने आईएसएंडएफएस में निर्णायक फैसला लिया है। सरकार ने इंपोर्ट पर लगाम लगाने की कवायद की है। भारतीयों को मसाला बॉन्ड पर टैक्स चोरी रोकने के लिए कदम उठाए हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि पहली तिमाही नतीजों में 8.5% ग्रोथ दिखी है। रेवेन्यू के जो आंकड़े मिल रहे हैं वह अच्छे हैं। डायरेक्ट टैक्स से सरकार को उम्मीद से बेहतर मिल रहा है। इससे फिसकल डेफिसिट कम करने में फायदा होगा। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर अमेरिका में घरेलू बाजार में हो रहे बदलाव का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. लेकिन घरेलू संकेत अच्छे हैं। हालांकि कच्चे तेल के चलते करेंट अकाउंट डेफिसिट पर चुनौती है। लेकिन अन्य आंकड़े सरकार के पक्ष में हैं।