बुरहानपुर। आगामी विधानसभा चुनाव के बाद स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किए जाने वाले सत्यापित 100 सहायक अध्यापक, अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापकों की संविलियन अनुशंसा फिलहाल स्थगित कर दी है। यह रोक जिला पंचायत सीईओ शीलेंद्र सिंह ने लगाई है। इसके साथ ही अन्य 8 अध्यापकों पर एफआईआर कराने के आदेश भी दिए हैं। मामला संविलियन में गड़बड़ी और फर्जी दस्तावेज लगाने को लेकर की गई शिकायत का है।
खैराती बाजार स्कूल के अतिथि शिक्षक शमीम मंसूरी ने अनुपस्थित रहने के बाद भी अध्यापकों द्वारा वेतन निकालने और संविलियन में गड़बड़ी को लेकर जिला पंचायत सीईओ शीलेंद्र सिंह से शिकायत की थी। इस पर सीईओ ने कमेटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे। जांच शुरू हुई तो पाया कि शिक्षा विभाग ने संविलियन के लिए 1400 सहायक अध्यापक, अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापक के आवेदन बुलवाए थे। इनमें से संविलियन में गड़बड़ी को लेकर 100 से ज्यादा अध्यापकों की संविलियन अनुशंसा स्थगित कर दी है, क्योंकि उनके खिलाफ शिकायत आई है कि उन्होंने संविलियन के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए हैं। हालांकि सत्यापन में उनकी संविदा की अंक सूची, डीएड, बीएड सहित अन्य मूल दस्तावेजों नहीं मिले हैं।
इन अध्यापकों पर चल रही जांच :
सहायक अध्यापक पंकज बेदी, महेश गोविंदा को झांझर के प्राथमिक स्कूल, सहायक अध्यापक आशीष पाठक को बलड़ी के माध्यमिक स्कूल, अनिल मुजाल्दे को खातला के माध्यमिक स्कूल, सहायक अध्यापक मीनाश्री वानखेड़े को बसाली के प्राथमिक स्कूल, सहायक अध्यापक उज्जवला साखरे को नसीराबाद के माध्यमिक स्कूल, सहायक अध्यापक सुरेखा ठाकुर को बलड़ी के माध्यमिक स्कूल, सहायक अध्यापक आशा बघेल को गारखेड़ा स्थानांतरित किया गया था। इनमें से सहायक अध्यापक मीनाश्री वानखेड़े ने स्कूल ही ज्वाइन नहीं किया था। निंबोला में स्थानांतरण होने पर अनिल मुजाल्दे यहां नियमित स्कूल जाने लगे।
50 से अधिक अध्यापकों को दिए नोटिस, नहीं हुए बयान
शिकायत के बाद इनमें से 50 से अधिक सहायक अध्यापक, अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापकों को नोटिस जारी किए गए थे। इन सबके सोमवार को जिला पंचायत कार्यालय में बयान होना थे लेकिन अफसरों की बैठकों में व्यस्तता के कारण उनके बयान नहीं हो पाए। अब अगली तारीख देकर उनके बयान दर्ज किए जाएंगे।
स्कूल जाकर हस्ताक्षर कर लौट आते, हर माह वेतन खाते में जमा होता रहा
2010 में बुरहानपुर संकुल के आठ अध्यापकों को स्थानांतरित किया गया था। इनमें से एक अध्यापक ने स्कूल ही ज्वाइन नहीं किया। एक अध्यापक दूसरी जगह स्थानांतरण के बाद नियमित स्कूल जाने लगे। जबकि छह ऐसे अध्यापक थे, जो महीने में कभी-कभार ही स्कूल जाते और रजिस्टर में हस्ताक्षर कर लौट आते थे लेकिन वेतन हर महीने उनके खाते में जमा होता रहा। जांच में यह मामला सामने आने पर जिला पंचायत सीईओ ने उनसे जारी वेतन वसूली के आदेश दिए। राशि नहीं लौटाने पर उनके खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश दिए हैं।
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