भोपाल। मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति के 1000 से ज्यादा अध्यापक अब खुद को सामान्य जाति का बता रहे हैं। अध्यापक से शिक्षा विभाग में संविलियन के दौरान यह घोटाला पकड़ में आया है। नौकरी प्राप्त करते समय उन्होंने खुद को अनुसूचित जाति जनजाति का नागरिक बताया था। जाति प्रमाण पत्र भी लगाए थे परंतु अब खुद को सामान्य बताते हुए संविलियन प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं।
मामला जनजातीय कार्य विभाग का है। विभाग 89 विकासखंडों में स्कूल संचालित करता है। मुख्यमंत्री शिवराज के ऐलान के बाद अध्यापकों के शिक्षक संवर्ग में नियुक्ति के आदेश जारी किए गए थे। वर्तमान में इन स्कूलों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति (अध्यापकों का विभाग में संविलियन) की प्रक्रिया चल रही है। चूंकी अभी तक नोटिफिकेशन जारी नही हुआ है, इससे पहले ही जनजातीय कार्य विभाग के अध्यापक अपनी जाति बदल रहे हैं। खबर है कि नौकरी में आने के लिए आरक्षण का लाभ लेने अध्यापकों ने अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र जमा किए थे।
अब संविलियन के समय एक हजार से ज्यादा अध्यापकों ने सामान्य वर्ग से होने के प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। इस मामले में विभाग की आयुक्त दीपाली रस्तोगी ने जिलों में डीडीओ (आहरण संवितरण अधिकारी) को जांच के आदेश दिए हैं। आयुक्त ने जांच में गड़बड़ी सामने आने पर संबंधित अध्यापक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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