भोपाल। चुनाव आते ही राजनीति में जातिवाद शुरू हो जाता है। मध्यप्रदेश में इस बार तो चुनाव के 2 साल पहले ही जातिवाद शुरू हो गया था। अब जब जातिवाद की बात चल रही रही है तो आइए मध्यप्रदेश की उन 2 विधानसभा सीटों पर नजर घुमाते हैं जहां जैन समाज के वोटर्स की संख्या सबसे कम है फिर भी 30 साल से यहां जैन विधायक बनते आ रहे हैं।
पत्रकार श्री पृथ्वी सुरेंद्र सिंह की रिपोर्ट के अनुसार बुंदेलखंड में पांच जिले और 26 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 2 सीटें ऐसी हैं, जहां बीते तीन दशक से जैन समुदाय का कब्जा है। यहां बात हो रही है विधानसभा क्षेत्र सागर और दमोह विधानसभा की। सागर से भाजपा के शैलेंद्र जैन और दमोह से वित्त मंत्री जयंत मलैया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भाजपा हो या कांग्रेस इन दोनों सीटों पर जैन समाज का ही प्रत्याशी मैदान में उतरते हैं। सागर विधानसभा क्षेत्र से बीते 33 साल से जैन समाज का ही विधायक बनता आ रहा है। सागर की जनता ने दो बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा के जैन विधायकों को ही चुना है। जबकि यहां एससी-एसटी 41 हजार, ब्राह्मण 30 हजार और जैन 20 हजार वोटर हैं।
दमोह में 38 साल से जैन विधायक
बुंदेलखंड की एक और विधानसभा सीट, यहां से भी जैन समाज ही बीते 38 साल से दमोह का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है। वर्तमान में दमोह से प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया विधायक हैं। मलैया इस सीट से 1990 (उपचुनाव) से लगातार जीत रहे हैं। इस सीट पर भी जैन वोटरों की संख्या पिछड़ा वर्ग की तुलना में काफी कम है, बावजूद इसके यहां से जैन समुदाय से ही विधायक बन रहा है। यहां लोधी-ठाकुर 38 हजार, ब्राह्मण 28 से 30 हजार और जैन समाज के मात्र 12 हजार वोटर हैं।
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