राजगढ़। निराश्रित पेंशन योजना के तहत सामाजिक न्याय विभाग में फर्जी हस्ताक्षरों के जरिए 41 लाख 79 हजार रुपए पेंशन निकालने के मामले में विशेष न्यायालय ने उक्त अवधि में जिले में पदस्थ रहे चार उप संचालकों के खिलाफ धोखाखड़ी की एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। वहीं तीन कलेक्टरों को नोटिस जारी कर 12 नवंबर को अदालत में तलब किया है।
लोक अभियोजक गिरीश शर्मा के मुताबिक सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक कार्यालय से निराश्रित पेंशन योजना के तहत 19 चेकों के जरिए 05 अप्रैल 2007 से 17 मई 2010 के बीच 41 लाख 79 हजार रुपए निकाले गए थे। उस समय ऑडिट नहीं होने के कारण यह गड़बड़ी पकड़ में नहीं आई थी।
इसके बाद विभाग में ही पदस्थ सहायक ग्रेड-3 प्रमोद श्रीवास्तव ने 13 मई 2017 को कोतवाली में एसबीआई की राजमहल शाखा के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की थी। जिस पर कोतवाली ने बैंक के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 467, 468, 120 बी के तहत धोखाधड़ी का केस दर्ज कर अदालत में प्रस्तुत किया।
इस मामले की सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश राजेश कुमार गुप्ता ने उक्त अवधि में राजगढ़ में पदस्थ रहे सामाजिक न्याय विभाग के चार उपसंचालकों मनोज बाथम, आरएल भारतीय, एमके त्रिपाठी एवं मीना श्रीवास्तव के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 467, 468, 409, 120-बी के तहत आरोपित मानते हुए एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा तत्कालीन कलेक्टर जीपी तिवारी, शिवानंद दुबे एवं लोकेश जाटव को कारण बताओ नोटिस जारी कर 12 नवंबर को अदालत में पेश होने के आदेश दिए हैं।