इंदौर। आचार संहिता के पहले तक जनआशीर्वाद यात्रा में सरकारी प्रयासों से भीड़ आ रही थी परंतु आचार संहिता के बाद भीड़ की जिम्मेदारी पार्टी पर आ गई। हालात यह बने कि अमित शाह की रैली में भी पर्याप्त संख्या नहीं थी। नेताओं के माथे पर पसीने साफ नजर आ रहे हैं। 21 अक्टूबर को इंदौर में जन आशीर्वाद यात्रा का आयोजन है। आसपास की 80 सीटों के दावेदारों से कहा गया है कि वो ज्यादा से ज्यादा भीड़ लेकर आए। जो यात्रा का सबसे अच्छा स्वागत करेगा उसी का टिकट पक्का।
चुनाव प्रचार की शुरूआत में सीएम शिवराज सिंह ने सारी कमान अपने हाथ में ले रखीं थीं। पार्टी में शिवराज सिंह का विकल्प माने जाने वाले महू, इंदौर से विधायक और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मप्र की चुनावी राजनीति से दूर रखा गया था परंतु जब हालात बिगड़े तो कैलाश विजयवर्गीय को बुलाकर सारी जिम्मेदारी सौंप दी गई। उनके साथ यात्रा प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा को भी अटैच किया गया है। जावरा कंपाउंड स्थित पार्टी कार्यालय पर हुई कोर ग्रुप की बैठक में दोनों नेताओं ने विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ ही दावेदारों को भी संकेत दे दिया यात्रा में भारी भीड़ लाना ही है।
झा ने कहा- इंदौर की राजनीति पूरे प्रदेश को प्रभावित करती है। यहां यात्रा ऐतिहासिक होना चाहिए। विजयवर्गीय ने कहा कि इंदौर में जो विकास कार्य होते हैं वह मालवा और आसपास की 80 सीटों को प्रभावित करते हैं। इसलिए न केवल भारी भीड़ बल्कि स्वागत का तरीका भी नया होना चाहिए। कुल मिलाकर स्पष्ट कर दिया गया है कि 'भीड़ दिखाओ, टिकट ले जाओ' नहीं तो दावेदारी मत जताओ।
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